नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने भू-राजनीतिक घटनाक्रमों तथा जिंसों की ऊंची कीमतों के बीच चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर कायम रखा है. हालांकि, केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि मुद्रास्फीतिक दबाव अभी और कम होगा. जून में पिछली मौद्रिक समीक्षा बैठक में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया था.
आरबीआई ने इतना बढ़ाया रेपो रेट
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को पेश मौद्रिक समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी और तिमाही में मुद्रास्फीति छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर रहेगी. रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया गया है.
आरबीआई ने जीडीपी की वृद्धि दर कायम रखी
भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान को कायम रखा है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत ने शुक्रवार को यहां चालू वित्त वर्ष की चौथी मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए कहा कि शहरी मांग में सुधार हो रहा है.
सामान्य मानसून से ग्रामीण मांग में भी धीरे-धीरे सुधार दिख रहा है. दास ने कहा कि देश को सतत वृद्धि की राह पर ले जाने के लिए केंद्रीय बैंक मूल्य स्थिरता को लेकर प्रतिबद्ध है.
आरबीआई ने चौथी तिमाही के लिए लगाया ये अनुमान
रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 16.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. चौथी तिमाही तक वृद्धि दर घटकर चार प्रतिशत रह जाएगी. हालांकि, इसके साथ ही दास ने आगाह किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वृद्धि दर के लिए जोखिम हो सकता है. केंद्रीय बैंक ने अप्रैल में 2022-23 की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया था. इससे पहले रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
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