दिल्ली में 24 घंटे खुलेंगे होटल, रेस्टोरेंट सहित ये दुकानें, ऑनलाइन डिलीवरी की भी मिलेगी सुविधा

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अगले सप्ताह से होटल, रेस्तरां, दवाओं, लॉजिस्टिक और अन्य आवश्यक वस्तुओं की ऑनलाइन डिलीवरी सेवाओं, परिवहन और यात्रा सेवाओं के अलावा केपीओ और बीपीओ सहित 300 से अधिक प्रतिष्ठान 24 घंटे खुले रहेंगे.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 9, 2022, 07:53 PM IST
  • राजधानी में नाइट लाइफ का अनुभव बेहतर करने का प्रयास
  • श्रम विभाग पर लंबित मामलों को लेकर उठे सवाल
दिल्ली में 24 घंटे खुलेंगे होटल, रेस्टोरेंट सहित ये दुकानें, ऑनलाइन डिलीवरी की भी मिलेगी सुविधा

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अगले सप्ताह से होटल, रेस्तरां, दवाओं, लॉजिस्टिक और अन्य आवश्यक वस्तुओं की ऑनलाइन डिलीवरी सेवाओं, परिवहन और यात्रा सेवाओं के अलावा केपीओ और बीपीओ सहित 300 से अधिक प्रतिष्ठान 24 घंटे खुले रहेंगे. दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने ऐसे 314 आवेदनों को छूट देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो 2016 से लंबित हैं. एलजी ने निर्देश दिया है कि इस आशय की अधिसूचना सात दिनों के भीतर जारी की जाए.

राजधानी में नाइट लाइफ का अनुभव बेहतर करने का प्रयास

दिल्ली दुकान और स्थापना अधिनियम, 1954 की धारा 14, 15 और 16 के तहत छूट प्रदान करने का निर्णय, रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और सकारात्मक और अनुकूल कारोबारी माहौल को बढ़ावा देने के साथ-साथ वांछित 'नाइट लाइफ' को भी बढ़ावा देने के तहत है.

उक्त अधिनियम की धारा 14, 15 और 16 के तहत छूट वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को 24 घंटे संचालित करने में सक्षम बनाती है, हालांकि इसमें कुछ शर्ते लागू हैं, जिसमें श्रम और सुरक्षा आदि का कल्याण शामिल है.

प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए, उपराज्यपाल ने एक बहुत ही गंभीर ²ष्टिकोण अपनाया और इन छूटों के लिए प्रतिष्ठानों द्वारा किए गए आवेदनों के निपटान में श्रम विभाग की ओर से अत्यधिक देरी, तदर्थता और अनुचित विवेक के मुद्दों को कारण बताया.

श्रम विभाग पर लंबित मामलों को लेकर उठे सवाल

उपराज्यपाल सचिवालय के अधिकारी ने कहा, "कुल 346 लंबित आवेदनों में से 2016 के 18 आवेदन, 2017 के 26 आवेदन, 2018 के 83 आवेदन, 2019 के 25 आवेदन, 2020 के चार आवेदन और 2021 के 74 आवेदनों पर श्रम विभाग द्वारा समय पर कार्रवाई नहीं की गई. इन आवेदनों को बिना किसी कारण लंबित रखा गया, यहां तक कि केवल दो आवेदन, 2017 में से एक और 2021 के दूसरे को संसाधित और अनुमोदन के लिए भेजा गया. यह श्रम विभाग की भ्रष्ट प्रथाओं का संकेत देता है."

अधिकारी ने कहा कि, "यह श्रम विभाग की ओर से पूरी तरह से अव्यवसायिक रवैया और उचित परिश्रम की कमी को दर्शाता है और इस तरह के आवेदनों को संसाधित करने में विभाग ने 'पिक एंड चॉइस पॉलिसी' अपनाई. इस तरह की प्रणाली से भ्रष्टचायार बढ़ता है. इसके अलावा, इस तरह के नियमित आवेदनों की अत्यधिक देरी से प्रसंस्करण भी बड़े पैमाने पर व्यापारिक समुदाय के विश्वास / भावनाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है."

उपराज्यपाल ने इस तथ्य की ओर भी इशारा किया कि आवेदन प्राप्त करने के लिए एक डिजिटल तंत्र स्थापित करने के लिए श्रम विभाग के लिए एलजी सचिवालय से बार-बार अवलोकन और अनुनय लिया.
यह, एलजी ने कहा, सरल तकनीकी हस्तक्षेपों को अपनाने में श्रम विभाग की ओर से अनिच्छा को दर्शाता है जिसने 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' के लिए नियामक ढांचे में सुधार किया.

कारोबारियों के लिए अनुकूल माहौल बनाने का प्रयास

अधिकारी ने कहा कि, उपराज्यपाल ने सख्ती से सलाह दी है कि इस तरह के आवेदनों को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर निपटाया जाए ताकि निवेशकों के अनुकूल कारोबारी माहौल और दिल्ली के उद्यमियों और व्यापारिक समुदाय में सकारात्मक विश्वास पैदा किया जा सके.

उपराज्यपाल ने श्रम विभाग को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है कि भविष्य में इस तरह की देरी न हो, पारदर्शी और प्रभावी निगरानी के लिए एक तंत्र विकसित किया जाए, लंबित होने के कारणों का पता लगाया जाए, जिम्मेदारी तय की जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए.

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