नई दिल्लीः उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले के इच्छुक छात्रों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. खबर के मुताबिक अब अगर कोई छात्र अपना दाखिला खुद ही कैंसिल कराता है, तो ऐसी स्थिति में भी अब उनकी फीस कॉलेज की ओर से वापस मिल जाएगी.
देश के सभी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को दिए गए निर्देश
इस नियम को लेकर सरकार की ओर से देश भर के सभी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए गए हैं. सरकार की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि अब कॉलेजों से दाखिला रद्द करवाने पर छात्रों को उनकी फीस वापस लौटानी ही पड़ेगी.
छात्र कर सकते हैं ऑनलाइन शिकायत
हालांकि, कई बार ऐसा भी देखने में आया है कि कई प्राइवेट शिक्षण संस्थान दाखिला रद्द करवाने की स्थिति में फीस लौटाने में आनाकानी करते हैं. यूजीसी का कहना है कि अगर कोई यूनिवर्सिटी फीस वापस करने से इनकार करती है तो छात्र इसकी शिकायत कर सकते हैं. इसके लिए यूजीसी ने ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली बनाई है.
समाधान वेबसाइट पर कर सकते हैं शिकायत
छात्र यूजीसी द्वारा बनाई गई वेबसाइट 'समाधान' वेबसाइट पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इस नए नियम को लेकर यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एवं जगदीश कुमार का कहना है कि इस पॉलिसी का संपूर्ण उद्देश्य छात्र छात्रों को आर्थिक नुकसान से बचाना है. छात्रों को फीस वापस मिलने पर वह बिना किसी आर्थिक नुकसान के एक संस्थान से दूसरे संस्थान में अपनी पसंद के पाठ्यक्रम चुन सकेंगे.
देखने में सामने आए हैं कई मामले
दरअसल, ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब छात्रों ने एक संस्थान में फीस जमा कराई, लेकिन सेशन लेट होने या फिर किसी अन्य कारणों से जब छात्रों ने दूसरे संस्थानों में दाखिला लिया तो उन्हें पुराने संस्थान ने फीस वापस नहीं लौटाई.
यूजीसी ने जारी किए निर्देश
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने अब शिक्षण संस्थानों को फीस वापस करने का निर्देश जारी किया है. कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के लिए जारी किए गए निर्देश में कहा गया है कि जो छात्र अपना दाखिला एक जगह से रद्द कराकर दूसरी जगह एडमिशन लेना चाहते हैं उन्हें उनकी पूरी फीस लौटाई जाए.
प्रोसेसिंग फीस के नाम पर काट सकते हैं छोटा अमाउंट
यदि छात्र एडमिशन रद्द कराने की सूचना देने में विलंब करते हैं तो ऐसी स्थिति में कॉलेज या विश्वविद्यालय केवल एक छोटा अमाउंट प्रोसेसिंग फीस के नाम पर काट सकते हैं. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने मौजूदा शैक्षणिक सत्र यानी वर्ष 2023-24 के लिए यह फीस रिफंड पॉलिसी तैयार की है की है.
जानें क्या कहा गया छात्र फ्रेंडली पॉलिसी में
आयोग की ओर से तैयार की गई छात्र फ्रेंडली इस पॉलिसी में देशभर के सभी विश्वविद्यालयों को फीस वापसी के संदर्भ में सख्त हिदायत दी गई है. यूजीसी की ओर से विश्वविद्यालयों व कॉलेजों से कहा गया है कि जो छात्र एक शिक्षण संस्थान से अपना दाखिला रद्द करवाने के उपरांत किसी दूसरे शिक्षण संस्थान में दाखिला लेना चाहे तो तुरंत प्रभाव से उसकी फीस वापस की जाए.
यूजीसी द्वारा तय किए गए नियमों के मुताबिक यदि कोई छात्र 30 सितंबर तक अपना एडमिशन कैंसिल या वापस करता है तो उसके द्वारा भुगतान की गई पूरी फीस संबंधित शिक्षण संस्थान छात्र को वापस करेगा.
31 अक्टूबर तक भी जा सकती है प्रक्रिया
हालांकि, ऐसा नहीं है कि 30 सितंबर के बाद फीस वापसी को लेकर छात्रों के पास कोई विकल्प शेष नहीं रहेगा. यूजीसी ने इसके लिए भी प्रावधान किया है. आयोग का कहना है कि यदि किन्हीं कारणों से छात्र समय रहते अपना दाखिला रद्द नहीं करवा सके या फिर फीस वापसी के लिए आवेदन नहीं कर सके तो यह प्रक्रिया 31 अक्टूबर तक भी की जा सकती है.
अधिकतम 1 हजार रुपये की होगी कटौती
30 सितंबर के बाद 31 अक्टूबर तक अपना दाखिला रद्द करवाने पर छात्रों को एक निश्चित प्रोसेसिंग फीस का भुगतान करना होगा. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का कहना है कि विश्वविद्यालय या कॉलेज प्रोसेसिंग फीस के नाम पर अधिकतम केवल एक हजार रुपये ही काटे जा सकते हैं. यह प्रोसेसिंग फीस काटने के उपरांत शिक्षण संस्थानों के लिए अनिवार्य होगा कि वह छात्रों की शेष फीस उन्हें वापस लौटाएं.
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