नई दिल्ली: देश का आम बजट पेश होने वाला है, हर कोई इसका बेसब्री से इंतजार कर रहा है कि किस वर्ग के लिए वित्त मंत्री के पिटारे से क्या निकलेगा. बजट का नाम सुनते ही हर कोई जानना चाहता है कि बजट में क्या होने वाला है, किसको सरकार की तरफ से क्या तोहफा मिलने वाला है. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर बजट शब्द कहा से आया और बजट को बजट ही क्यों कहा जाता है? तो आपको हम बजट शब्द का इतिहास आसान भाषा में समझाते हैं.


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'बजट' शब्द का अर्थ
बजट शब्द का जन्म फ्रेंच के शब्द बागेत (Baguette) से हुआ है. इसका अर्थ होता है- चमड़े का ब्रीफकेस जो छोटे आकार का होता है, ब्रीफकेस ब्राउन कलर का होता था, लेकिन अब इसमें बदलाव हो गया है.


आजादी के बाद भारत के वित्त मंत्री चमड़े के ब्रीफकेस में बजट से जुड़े कागज को लेकर संसद भवन पहुंचते थे, लेकिन इससे पहले वित्त मंत्री अपने अन्य सहयोगियों के साथ फोटोशूट कराते थे. ये परंपरा अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है.


संविधान में नहीं है बजट का जिक्र
बजट पेश करने की परंपरा अंग्रेजों के जमाने की है. भारतीय संविधान में बजट का जिक्र नहीं किया गया है, क्योंकि यह अंग्रेजों की परंपरा थी. इसी वजह से संविधान में इसको जगह नहीं दी गई.


'बजट' का इतिहास 
भारत में बजट की शुरुआत बहुत पहले हो गई थी, लेकिन भारत में पहली बार बजट 1860 में स्कॉटिश अर्थशास्त्री जेम्स विलसन ने पेश किया था. हालांकि आजाद भारत का पहला बजट आर के शनमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर,1947 में पेश किया था. इसके बाद स्वतंत्र भारत में बजट की शुरुआत हो गई थी.


2001 से पहले बजट फरवरी के आखिरी कार्यदिवस में शाम 5 बजे पेश किया जाता था, लेकिन 2001 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने इसके समय में बदलाव किया था. इसके बाद बजट का समय सुबह 11 बजे कर दिया गया था.


1 फरवरी को भारत की वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश किया जाएगा. जिसके लिए संसद सत्र की शुरुआत 31 जनवरी से होगी. ये बजट सत्र 6 अप्रैल तक चलेगा.


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