मुबंई: 24 अक्टूबर को जबसे महाराष्ट्र विधानसभा का परिणाम आया तब से राजनीतिक माहौल गर्म हो गया था. हालाकि चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा सीट तो मिली पर इतनी नहीं कि भाजपा अपने दम पर महाराष्ट्र में सरकार बना लें. भाजपा और शिवसेना ने यह चुनाव साथ मिलकर लड़ा था पर रिजल्ट आते ही शिवसेना कुछ शर्तों के साथ आ खड़ी हुई.
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इसके बाद बस कयास लगाए जाने लगे कि महाराष्ट्र में किसकी सरकार बनेंगी और कौन किसका साथ देगा.
सभी राजनीतिक दलों ने कई बैठकें भी किए पर किसी की दाल गलती नहीं दिखी. महाराष्ट्र में किसी की सरकार नहीं बनती देख करीब परिणाम आने के 18 दिन यानी 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया.
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जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और राष्ट्रपति शासन हटाकर बहुमत पेश करने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों को एक मौका दिया गया.
पहले तो खबरें आई कि शिवसेना, NCP और कांग्रेस मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाएंगे. पर अचानक सबको तब झटका लगा जब सोच से परे हट कर भाजपा और NCP ने 23 नवंबर को महाराष्ट्र में सरकार बना लिया और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
शपथ के बाद फिर एक ट्विस्ट आया जिसने अब तक का सारा खेल ही बदल कर रख दिया. NCP, शिवसेना और कांग्रेस ने मिलकर परेड निकाली जिसमें हयात होटल में 162 विधायकों की सहमति का दावा किया और सिद्ध किया.
महज 81 घंटे के बाद फडणवीस को बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. 28 नवंबर को शाम 6.40 मिनट पर शिवसेना के उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ लेंगे.