नई दिल्ली.  ये खबर एक ऐसी महिला को लेकर है जिसके बारे में बताया जा रहा है कि यह वो महिला ही है वो कारण जिसके कारण भारत और नेपाल के संबंध ख़राब हुए हैं. क्या यह सम्भव है कि बरसों-बरस से चले आ रहे भारत और नेपाल के मैत्री संबंध जो कि रोटी और बेटी के संबंधों पर भी आधारित हैं, एक महिला की कोशिशों के कारण खराब हो गए ? कमजोर हांथों में राजदंड नहीं थमता - ये कहा था आचार्य चाणक्य ने. एक औरत के लटकों-झटकों में ऐसे फंसे चीन के सर्वोच्च नेता कि भारत से बैर मोल ले लिया 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


 


ये है एक चीनी महिला


यह महिला जिसको लेकर ये कहा जा रहा है कि इस महिला ने नेपाल भारत संबंधों को बिगाड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है, वह एक चीनी महिला है जो कि ऊपरी तौर पर नेपाल में एक चीनी राजनयिक के तौर पर अपनी सेवायें दे रही है. इसकी सेवाओं की गुणवत्ता का अनुमान सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि यह महिला नेपाल के हर बड़े राजनेता के लगातार संपर्क में रहती है. इसके सक्रिय संपर्क व्यक्तिगत अधिक होते हैं जो नेपाल के नेताओं को किसी तरह से भी नजरअन्दाज करने लायक नहीं लगते, खासकर नेपाली प्रधानमन्त्री खडग प्रसाद ओली को. पता चला है कि इस चीनी महिला राजनयिक ने अपनी 'इरादतन सक्रिय' कोशिशों से जो रणनीति बनाई वह खासी कामयाब रही और भारत-नेपाल के संबंध पटरी से उतर गए.


नेपाल में राजनयिक है यह महिला 


नेपाल में राजनयिक बनी हुई इस चीनी महिला का नाम होउ यान्की है. भारत के नेपाल से संबंध खराब करने में होउ यान्की के व्यक्तिगत योगदान को राजनैतिक योगदान माना जा सकता है जिसके कारण नेपाल चीन के करीब आया और भारत से दूर चला गया. नेपाल में राजनयिक होउ यान्की अपनी सुन्दर कूटनीतिक सक्रियता से नेपाल के नेताओं को भारत के खिलाफ बरगलाने में कामयाबी पाई है.


ओली को प्रेरित करती रही है होउ यान्की


होउ यान्की ने जो सबसे बड़ा काम किया वो ये था कि वह नेपाल के प्रधानमंत्री खडग प्रसाद ओली के काफी करीब आ गई और उनका विश्वास जीतने के बाद उसने ओली को भारत के खिलाफ भड़का कर सीमा विवाद पैदा कराया. इतना ही नहीं उसने ओली से कह कर नेपाल के नक्शे को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए कदम भी उठवा दिए जिन्होंने भारत के नेपाल से संबंध खराब करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई. और आज की तारीख में ओली को बेराजगारी के मुहाने पर पहुंचाने का श्रेय भी इसी महिला को जाता है.


ये भी पढ़ें. हांगकांग में प्रदर्शनकारियों पर पर चीन की निगाहें टेढ़ी हुईं