तो इसलिए अफगानिस्तान की सरकार फिल्म 'पानीपत'' पर आपत्ति जता रही है

फिल्मों का समाज पर क्या असर पड़ता है, इसका नमूना भारत में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनने वाली सिनेमा के पर्दे पर आने से पहले ही दिखने लगता है. कभी धार्मिक भावना आहत होने के नाम पर तो कभी गलत छवि के नाम पर इसका विरोध होते आया है. बॉलीवुड में पद्मावत के बाद एक और इतिहास पर आधारित फिल्म रिलीज होने से पहले ही आलोचना की शिकार होती चली जा रही है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि यह विवाद देश के अंदर नहीं बल्कि देश के बाहर हो रहा है. 

Last Updated : Nov 11, 2019, 02:27 PM IST
    • पानीपत की युद्ध का पूरा वृतांत
    • विदेशी क्रूर आक्रांता था अब्दाली
    • भारत पर 1748-1767 तक आठ बार आक्रमण किया
तो इसलिए अफगानिस्तान की सरकार फिल्म 'पानीपत''  पर आपत्ति जता रही है

नई दिल्ली: विवादों की कड़ी में जो अगली फिल्म आई है, उसका नाम है पानीपत और विरोध या यूं कहें कि चिंता जताने वाला देश है आफगानिस्तान. सवाल यह उठता है कि आखिर भारत में बनने वाली फिल्म पानीपत से आफगानिस्तान का क्या लेना-देना ? अफगानिस्तान आखिर क्यों रिएक्ट कर रहा है ? दरअसल, संजय दत्त, अर्जुन कपूर और कृति सेनन जैसे मुख्य कलाकारों से सजी फिल्म 18वीं शताब्दी के एक युद्ध की कहानी को बयां करता है. यह युद्ध भारत के मराठा पेशवा सदाशिव राव और अफगानिस्तान के सुल्तान अहमद शाह दुर्रानी के बीच लड़ा गया जिसमें अफगानी शासक की जीत हुई. लेकिन फिर भी पड़ोसी देश आफगानिस्तान इस पर नाराजगी क्यों जाहिर कर रहा है ?

क्या कहा अफगान सरकार ने ? 

दरअसल, अहमद शाह अब्दाली अफगानिस्तान के दुर्रानी साम्राज्य का शासक था. अब्दाली को लोग वहां शाह बाबा के नाम से भी जानते हैं. अफगानिस्तान के लोग उसे आधुनिक अफगानिस्तान का संस्थापक बताते हैं. अफगानिस्तान और भारत के संबंध काफी सम्मानजनक स्थिति में हैं. फिल्म के ट्रेलर के रिलीज होने के कुछ ही घंटे बाद नई दिल्ली में स्थित अफगानिस्तान दूतावास ने भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिख आपत्ति जताई. अफगानिस्तानी सरकार का मानना है कि अहमद शाह दुर्रानी के फिल्म में गलत छवि से लोगों की भावना आहत हो सकती है. फिल्म में अब्दाली के क्रूर और आक्रांता की छवि आफगानी लोगों को रास नहीं आएगी. इससे दोनों मित्र देशों के बीच न सिर्फ विश्वास और तालमेल प्रभावित होगा, बल्कि रिश्तों में खटास भी देखने मिल सकती है. 

पानीपत की युद्ध का पूरा वृतांत

पानीपत का तीसरा युद्ध जो 1761 में लड़ा गया, उसमें अहमद शाह अब्दाली की जीत हुई. लेकिन दुनिया ने आफगानिस्तानी सुल्तान की क्रूरता को बहुत नजदीक से देखा. उस युद्ध के बाद अफगानिस्तानी सैनिकों ने मराठा लड़ाकों के अलावा हजारों आम नागरिकों को मार डाला, औरतों को बंधक बना कर अफगानिस्तान ले गए. बर्बरता का यह आलम था कि अफगानिस्तानी शासक के आदेश पर 40,000 को बंदी बना कर काट दिया गया. पेशवा के बेटे विश्वासराव और सदाशिव भाउ को भी जंग के दौरान मौत के घाट उतार दिया गया था. कहा जाता है कि पेशवा बालाजी बाजी राव इस सदमें से निकल ही नहीं पाए. उस युद्ध के बाद दुर्रानी ने मराठा साम्राज्य के खजानों की लूट-पाट की और ज्यादा दिन तक भारत में नहीं रूका. मुगल साम्राज्य के बादशाह शाह आलम-II को राजपाठ देकर देश लौट गया. 

विदेशी क्रूर आक्रांता था अब्दाली

अहमद शाह अब्दाली भारत पर लंबे समय तक आक्रमण करने वाले आक्रांताओं में से एक था. उसने भारत पर 1748-1767 तक आठ बार आक्रमण किया था. हर आक्रमण के बाद कुछ न कुछ लूट कर ले जाता था. अब्दाली के भारत पर आक्रमण के वहीं लक्ष्य था जो मुहम्मद गोरी का था. अब्दाली भारत की अकूत संपत्ति और धन-धान्य को लूटना चाहता था. इतना ही नहीं अब्दाली भारत में कमजोर मुगल साम्राज्य को देख यह भांप गया था कि भारत में  राजनीतिक नेतृत्व स्थापित कर लंबे समय तक राज करने का अच्छा मौका है. 

बॉलीवुड फिल्में अब विदेशों में भी अपना परचम लहराने लगी हैं. जापान और चीन में भारतीय फिल्मों का क्रेज अब लगातार बढ़ने लगा है. पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान में तो बॉलीवुड फिल्मों की धाक इतनी है कि वहां की फिल्मों से भी ज्यादा कमाई हिंदी सिनेमा ही कर लेती है. ऐसे में अफगानिस्तान की चिंता बढ़नी तो तय ही है. 

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