नई दिल्ली. आज भारत के खिलाफ चीन के पास मित्र नहीं हैं और चीन के विरुद्ध भारत के पास मित्रों की कोई कमी नहीं है. विशेष बात ये है कि भारत ने अपने इस सीमा-विवाद से जन्म लेने वाली युद्ध जैसी स्थिति के लिये किसी भी मित्र-राष्ट्र से सहायता की अपेक्षा नहीं की है न ही किसी वैश्विक मन्च पर कोई मदद मांगी है. 


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जापान ने मैत्री का विश्वास दिलाया


भारत ने सहायता नहीं मांगी है किन्तु मित्रता का धर्म निभा रहे हैं भारत के मित्र राष्ट्र. अमेरिका हो या रूस, ताईवान हो या जापान, भारत को अपनी मैत्री का विश्वास दिला रहे हैं. अब लद्दाख में चीन की नापाक हरकत के जवाब में भारत की कड़ी प्रतिक्रिया का साथ  दिया है भारत के मित्र जापान ने.


जापानी राजदूत का आया बयान


ऐसा होना ही था और बिना कहे भी भारत को जापान से इस कदम की अपेक्षा थी. भारत के पारंपरिक मित्र जापान ने खुलकर भारत के साथ खड़ा होना पसंद किया है. जापान के राजदूत ने भारतीय व‍िदेश सचिव से हाल ही में हुए एक मुलाकात के बाद कहा क‍ि क‍िसी भी देश को एक-तरफा कार्रवाई से परहेज करना चाहिए.


भारत के समर्थन में दिया बयान


जापान ने अपने वक्तव्य के माध्यम से जाहिर कर दिया कि भारतीय जमीन पर कब्‍जा करने की फ‍िराक में लगे चीन की नीयत से जापान अपरिचित नहीं है. इस चीनी मन्शा के खिलाफ जापान ने भारत के साथ खड़े हो कर कहा है कि वह यथास्थिति को बदलने वाली किसी भी देश के एकतरफा प्रयास का विरोध करता है. जापान ने भारत के शांति-प्रयासों की प्रशंसा करते हुए उम्मीद जताई कि इस समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकलेगा.


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