नई दिल्ली.  यूएन जनरल एसेम्बली के मंच पर यह पहला अवसर है कि अमेरिका और चीन के प्रतिनिधियों ने एक दूसरे पर इस तरह शब्दों के आक्रमण किये.  बात चाहे कोविड महामारी की हो या मानवाधिकार की या फिर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की - अमेरिका ने चीन के विरुद्ध जम कर आलोचनाओं और निन्दाओं के आक्रमण किये.


''चीन कोरोना महामारी का जिम्मेदार है''


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यूएनजीए में अमेरिका-चीन की इस भिड़ंत की शुरुआत अमेरिका की तरफ से हुई. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन को दुनिया भर में कोरोना वायरस महामारी फैलाने का दोषी करार दिया. इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र से भी अमेरिका ने अपील की है कि विश्व के देशों को वायरस से पैदा होने वाली इस महामारी का शिकार बनाने के लिए चीन को जिम्मेदार माना जाए. 


वर्चुअल बैठक में ट्रम्प का सम्बोधन 


यूएनजीए के मंच पर संयुक्त राष्ट्र की प्रथम वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर जम कर हमला बोला.  बैठक में भाग ले रहे वैश्विक नेताओं को ट्रम्प ने बताया कि चीनी सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना महामारी के प्रसार के दौरान झूठी घोषणा की थी कि इससे मानव से मानव में सार्स-कोव-2 का संक्रमण नहीं फैलता है. 


''चीन की सोची-समझी साजिश''


डोनाल्ड ट्रम्प ने 75वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र का आगाज़ अपने सम्बोधन में चीन की खाल-खिंचाई के साथ किया. उन्होंने कहा कि - जहां एक तरफ कोरोना महामारी की शुरुआत में चीन ने केवल अपनी घरेलू यात्रा को रोका, वहीं दूसरी तरफ पूरे विश्व को संक्रमित करने के षड्यंत्र के अंतर्गत अपनी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को भी चालू रखा. संयुक्त राष्ट्र को चाहिये कि वह इस मामले में चीन को निश्चित तौर पर जवाबदेह ठहराये." ट्रम्प ने फिर जोर देकर कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को सीधी तौर पर चीन के द्वारा संचालित किया जाता है.


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