नई दिल्ली: कोरोना वायरस जुड़ी अलग-अलग जानकारियां सामने आ रही हैं. दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना का काट निकालने की कोशिश में जुटे हैं. लेकिन, अबतक इससे जुड़ा कोई पुख्ता इलाज सामने नहीं आ पाया है. मगर हां, इसे लेकर अन्य-अन्य शोध और अहम जानकारियां निकलकर आ रही हैं. इसी बीच कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की एक जरूरी रिपोर्ट पेश की है.


अबतक कोरोना वायरस के 3 रूपों की हुई खोज


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कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक अबतक कोरोना वायरस के 3 रूप खोजे गए हैं. आपको इन तीनों प्रकार टाइप-A, टाइप - B, टाइप - C से रूबरू करवाते हैं.


खतरनाक वायरस कोरोना का 'टाइप - A'


रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना नामक महामारी के लक्षण चमगादड़, पैंगोलिन में मिले वायरस से मिलते-जुलते हैं. कहा तो ये भी जा रहा है कि महामारी की शुरुआत इसी वायरस से हुई, जो चमगादड़, पैंगोलिन में पाए गए हैं. ये वायरस अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन, स्पेन, चिली में फैला है और वुहान में रहने वाले अमेरिकी लोगों से फैला है.


खतरनाक वायरस कोरोना का 'टाइप - B'


कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के रिपोर्ट में कोरोना के दूसरे रूप के बारे में ये कहा गया है कि ये वुहान में मिले कोरोना वायरस का एक प्रकार है. ये वायरस टाइप A से ही विकसित हुआ है. चीन में शुरुआत धीमी थी, बाद में रफ्तार बढ़ी. चीन के कई हिस्सों में भी असर दिखा और फिर ये वायरस फ्रांस, इटली, ब्रिटेन, जापान, ब्राजील में फैल गया.


खतरनाक वायरस कोरोना का 'टाइप - C'


बता दें, रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि ये वायरस टाइप B से विकसित हुआ है. ये सिंगापुर के जरिए कुछ यूरोपीय देशों में फैल गया. शुरुआत में इसके कुछ मरीज फ्रांस, इटली में मिले थे.


वैसे जबसे कोरोना वायरस नाम के दुश्मन ने दुनिया पर अटैक किया है, तबसे तरह-तरह के रिसर्च में अलग-अलग दावे किए जा रहे है. लेकिन, दावों की असल हकीकत क्या है? इस पर विश्वास कर पाना हर किसी के लिए बेहद मुश्किल है.


पहले सांप, फिर चमगादड़ और अब पैंगोलिन


भला कोई यकीन करे भी तो किस पर करे? सच्चाई एक ही होगी, लेकिन एक वायरस के कहर को सुलझाने में इतने सारे दावे सामने आ चुके हैं कि कोई भी उलझ जाए. सबसे पहले तो दावा किया गया कि सांप से इस वायरस की उत्पत्ति हुई है. फिर कहा गया कि चमगादड़ और अब पैंगोलिन से कोरोना की पैदाइश की बातें की जाने लगी हैं.


चीन के वैज्ञानिकों ने पैंगोलिन और कोरोना वायरस के मिलने-जुलने वाले लक्षणों का प्रतिशत बताया तो जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन के प्रोफेसर एंड्रयू कनिंगम ने भी अपनी रिपोर्ट में इसका बखान कर दिया. उनके मुताबिक जब कोई साइंटिस्ट कोरोना के मरीज के शरीर में फैले इस वायरस को और भी बेहतर तरह से समझेगा, तब जाकर पैंगोलिन या चमगादड़ के संदेह को सुलझाया जा सकेगा.


कैसे बना कोरोना वायरस?


नई बात ये सामने आ रही है कि विशेषज्ञों का अनुमान है कि जानलेवा कोरोना के तैयार होने में चमगादड़ों और पैंगोलिन्स दोनों में पाए जाने वाले वायरस ने अपनी-अपनी भूमिका निभाई है, जिसके बाद तीसरा वायरस तैयार हुआ हो, ऐसा हो सकता है.


कहा तो ये भी जा रहा है कि इन दोनों जानवरों में पाए जाने वाले वायरसों ने किसी को एकसाथ चपेट में ले लिया हो और फिर तीसरे वायरस की उत्पत्ति हुआ हो. लेकिन, तीसरा वायरस किसमें विकसित हुआ फिलहाल, इसकी जानकारी नहीं सामने आ पाई है.


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कभी कोरोना को वुहान के लैब में बना वायरस बताया जाता है, तो कभी अमेरिका और चीन की मिलीभगत का नाम दिया जाता है. कोरोना के लक्षण जो इंसानों में पाए जाते हैं उसके बारे में तो लगभग पूरी दुनिया का एकमत ही है. लेकिन जब बात जानवर से फैलने की होने लगती है तो अलग-अलग दावों का पुलिंदा तैयार हो जाता है. यही वजह है कि हर किसी की राय जानवरों को लेकर बंटी हुई है कि किस जानवर से ये वायरस फैला? कभी लैब, तो कभी हथियार और कभी जानवर... दुनियाभर की बातें की जा रही हैं, लेकिन जब बात इस वायरस के समाधान की आती है तो ये दावे सिर्फ दावे तक ही सीमित रह जाते हैं


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