बांग्लादेश के राष्ट्रपिता के हत्यारे को आधी रात को दी गई फांसी

बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंग बंधु शेख मुजीबुर रहमान के हत्यारे को रात में फांसी दे दी गई. इस हत्या के दोषी को लगभग 45 साल फरार रहने के बाद इसी मंगलवार को ढाका से गिरफ्तार किया गया था.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 12, 2020, 11:15 AM IST
    • तख्तापलट करने के लिए हुई थी हत्या
    • अब्दुल मजीद ने स्वीकार की थी हत्या की बात
    • शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के दोषी
बांग्लादेश के राष्ट्रपिता के हत्यारे को आधी रात को दी गई फांसी

नई दिल्ली: बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के निर्माण की लड़ाई लड़ने वाले शेख मुजीबुर्रहमान के हत्यारे को फांसी दे दी गई है. आज रात में उसे फांसी देने की घोषणा की गई है. ढाका सेंट्रल जेल के जेलर महबूबुल इस्लाम ने बताया कि बंग बन्धु के हत्यारे और सेना के पूर्व कैप्टन अब्दुल माजिद को रविवार रात स्थानीय समयानुसार 12.01 पर फांसी दे दी गई.

तख्तापलट करने के लिए हुई थी हत्या

आपको बता दें कि बांग्लादेश के संस्थापक बंग बंधु की हत्या 1975 में एक तख्ता पलट अभियान में हुई थी. सेना के कई अधिकारी इसमें शामिल रहे थे. हत्या के बाद अब्दुल माजिद फरार हो गया था.

बता दें कि बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी हैं. बांग्लादेश के गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने बताया कि माजिद ने खुद हत्या की बात स्वीकार की थी. वह नवंबर 1975 में ढाका जेल में चार लोगों की हत्या में शामिल था.

अब्दुल मजीद ने स्वीकार की थी हत्या की बात

बंग बंधु शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या करने की बात पूर्व सैन्य अधिकारी अब्दुल मजीद ने खुद स्वीकार की थी. अब्दुल माजिद, शेख की हत्या में शामिल रहे उन दर्जनों लोगों में से एक है जिनकी फांसी की सजा को 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था. 1998 में निचली अदालत ने कुछ सैन्य अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई थी जो कि बंग बंधु और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या में शामिल रहे थे.

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गौरतलब है कि बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान और उनके अधिकतर परिजनों की 15 अगस्त 1975 को हत्या कर दी गई थी. इसमें किसी तरह पीएम शेख हसीना की जान बच गई थी.

शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के दोषी पाए जाने पर बारह पूर्व सैन्य अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई थी. सभी दोषियों में से पांच लोगों को 2010 में फांसी दे दी गई थी जबकि एक की प्राकृतिक कारणों से मौत हो गई थी.

 

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