नई दिल्ली. ऊपर से तो ये चीन की खतरनाक चाल दिखाई देती है जो बताती है कि डोकलाम के पास चीन ने अपना परमाणु बॉम्बर तैनात किया है और साथ ही लगा दी है क्रूज मिसाइल भी. लेकिन वास्तविकता क्या है वह इस प्रश्न के उत्तर में दिखाई दे सकती है - क्या चीन वास्तव में युद्ध करना चाहता है? अथवा क्या चीन युद्ध करने की स्थिति में है?
लद्दाख के बाद अब डोकलाम
चीन एक तरफ शांति वार्ता कर रहा है दूसरी तरफ भारत को दबाव में भी लेना चाहता है और इसके लिए वह अपनी सैन्य-शक्ति भारत की सीमा पर लगातार बढ़ा रहा है. लद्दाख के बाद अब डोकलाम क्षेत्र में चीन ने अपनी सेना की तैनाती बढ़ाई है. डोकलाम में उसने अपना परमाणु बॉम्बर H-6 तैनात किया है और साथ ही क्रूज मिसाइलें भी तैनात कर दी हैं.
गोलमुद एयरबेस पर की तैनाती
जहां एक तरफ चीन के हज़ारों सैनिक लद्दाख के ठंडे इलाके में तैनात हैं वहीं अब उसने भारत को मानसिक दबाव में लेने के लिए भारत की पूर्वी सीमा की तरफ भी सैन्य-शक्ति बढ़ाई है. भारत के पूर्व में चीन ने भूटान से लगे डोकलाम के पास H-6 परमाणु बॉम्बर और क्रूज मिसाइल तैनात की हैं. ये घातक हथियार उसने तिब्बत में स्थित अपने गोलमुड एयरबेस पर तैनात किये हैं.
सीमा से साढ़े ग्यारह सौ किमी दूर
चीन ने भूटान से लगे डोकलाम के पास जहां भारत के पूर्वी हिस्से में तनाव का नया मोर्चा खोला है वह स्थान अर्थात गोलमुद एयरबेस भारत की सीमा से मात्र 1150 किलोमीटर दूर है. इसके ठीक पहले अक्साई चिन में घातक बॉम्बर्स की तैनाती चीन द्वारा की गई थी जो कि काशगर एयरबेस पर हुई थी. सैटेलाइट तस्वीरें बताती हैं कि इस बॉम्बर के साथ केडी-63 लैंड अटैक क्रूज मिसाइल भी चीन ने वहां तैनात कर दी हैं.
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