नई दिल्ली: 2020 में सदी की सबसे भयावह और वीभत्स महामारी (Corona Pandemic) ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. चीन (Chinese Virus) के वुहान (Wuhan) से निकले Covid 19 वायरस ने दुनिया के कई देश तबाह कर दिए. हाल ही में एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.


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30 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (30 International Organization) ने एक रिसर्च के आधार पर अनुमान लगाया है कि कोरोना काल में पूरी दुनिया में करीब 1 लाख 60 हजार  से भी अधिक बच्चों की मौत भीषण भुखमरी से हुई है.


कोरोना काल में बढ़ी वैश्विक भुखमरी


आपको बता दें कि कोरोना वायरस के कारण एक साथ कई देशों में Lockdown लगाना पड़ा था और सभी आर्थिक गतिविधियों को बंद करना पड़ा था. इस वजह से कई लोगों की नौकरियां चली गयी और मजदूर वर्ग के कई परिवार भुखमरी की चपेट में आ गए थे.


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30 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के एक नए अध्ययन के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुईं हैं जिससे भुखमरी बढ़ी है. शोध के आधार पर रिपोर्ट में कहा गया है कि भुखमरी के खिलाफ दशकों से हुई प्रगति कोरोना महामारी की वजह से प्रभावित हुई है.


1 लाख 68 हजार बच्चों की मौत का अनुमान


गौरतलब है कि अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि इस कारण 1,68,000 बच्चों की मौत हो सकती है. भुखमरी पर स्टैंडिंग टुगेदर फॉर न्यूट्रीशन कंसोर्टियम ने इस साल का आर्थिक और पोषण डाटा इकट्ठा किया और इसके अलावा फोन पर सर्वे भी किया. शोध का नेतृत्व करने वाले सासकिया ओसनदार्प अनुमान लगाते हैं कि अतिरिक्त 11.90 करोड़ बच्चे कुपोषण के सबसे गंभीर रूप से पीड़ित होंगे, सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में हो सकते हैं.


कुपोषण बढ़ने की आशंका


उल्लेखनीय है कि संक्रमण की अवधि के दौरान पूरी दुनिया में ऐतिहासिक बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था में नुकसान और नौकरियों की कमी देखी गयी जिसकी वजह से अफ्रीका और एशिया महाद्वीप में कामगार वर्ग को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा था.


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सबसे बड़ी बात ये है कि माइक्रोन्यूट्रिएंट फोरम के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ओसनदार्प  (Executive Director) के मुताबिक जो महिलाएं अभी गर्भवती हैं वो ऐसे बच्चों को जन्म देंगी जो जन्म के पहले से ही कुपोषित हैं और ये बच्चे शुरू से ही कुपोषण के शिकार रहेंगे.'' वे कहते हैं, ''एक पूरी पीढ़ी दांव पर है.'' कोरोना वायरस के आने के पहले तक कुपोषण के खिलाफ लड़ाई एक अघोषित सफलता थी लेकिन महामारी से यह लड़ाई और लंबी हो गई है.


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