शोषण करने वाला पटवारी सिस्टम खत्म कर लेखपाल पद बनाया, किन फैसलों से किसानों के मसीहा कहलाए चौधरी चरण सिंह
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शोषण करने वाला पटवारी सिस्टम खत्म कर लेखपाल पद बनाया, किन फैसलों से किसानों के मसीहा कहलाए चौधरी चरण सिंह

Chaudhary Charan Singh Biography: भारत रत्‍न चौधरी चरण सिंह की याद में किसान दिवस का आयोजन किया जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने किसानों के उत्‍थान के लिए अपना पूरा जीवन संघर्ष में लगा दिया. 

Chaudhary Charan Singh

Chaudhary Charan Singh: भारतरत्‍न पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 122वीं जयंती 23 दिसंबर को मनाई जाएगी. चौधरी चरण सिंह अपने पूरे जीवन में किसानों और मजदूरों के लिए संघर्ष करते रहे. यही वजह रही कि बाद में वह किसानों और मजदूरों के मसीहा कहलाए. चौधरी चरण सिंह की याद में किसान दिवस मनाया जाता है. चौधरी चरण के बारे में कहा जाता है कि उन्‍होंने एक दिन भी खेती नहीं की, लेकिन वह किसान नेता कहलाए. तो आइये जानते हैं चौधरी चरण सिंह से जुड़े दिलचस्‍प किस्‍से. 

चौधरी चरण सिंह से जुड़े किस्‍से
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ की बाबूगढ़ छावनी के पास नूरपुर गांव में हुआ था. उनके पिता मीर सिंह किसान थे और उनकी मां का नाम नेत्रा कौर था. चौधरी चरण सिंह पांच बच्‍चों में सबसे बड़े थे. स्‍थायी कृषि जीवन के लिए उपयुक्‍त जमीन की तलाश में वह परिवार के साथ मेरठ चले गए. 1922 में भदौला गांव चले गए. चौधरी चरण सिंह ने अपनी स्कूली शिक्षा जानी खुर्द गांव में की. 

आगरा से बीएससी तो मेरठ से कानून की पढ़ाई 
इसके बाद उन्होंने 1919 में गवर्नमेंट हाई स्कूल से मैट्रिक किया. 1923 में उन्होंने आगरा कॉलेज से बीएससी और 1925 में इतिहास में एमए की पढ़ाई की. फ‍िर चौधरी चरण सिंह ने 1926 में मेरठ कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की. कानून की पढ़ाई करने के बाद चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद में सिविल कानून की प्रैक्टिस भी की. इसके बाद साल 1929 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए. 

देश के पांचवें प्रधानमंत्री बने 
28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक वह भारत के पांचवें प्रधानमंत्री रहे. लोगों में उन्हें भारत के किसानों के चैंपियन के रूप में जाना जाता है. चौधरी चरण सिंह ने पूरे जीवन में किसानों और उनके परिवारों के उत्थान के लिए काम किया. भारत की आजादी के लिए वह कई बार जेल गए. 1937 में वह पहली बार छपरौली से यूपी विधान भा के लिए चुने गए. उन्होंने 1946, 1952, 1962 और 1967 में निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 1946 में वे पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने. चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीति में मील का पत्थर साबित हुए. विरोधी भी उनकी ईमानदारी के कायल थे. 

चौधरी चरण सिंह के नाम पर मेरठ में यूनिवर्सिटी 
चौधरी चरण की कर्मभूमि मेरठ रही. यहां चौधरी चरण सिंह के नाम से एक विश्‍वविद्यालय भी है. सीसीएसयू की स्थापना सन 1965 में 'मेरठ विश्वविद्यालय' नाम से हुई थी. बाद में इसका नाम बदलकर चौधरी चरण सिंह के नाम पर रख दिया गया. मेरठ के कचहरी रोड स्थित छोटे से मकान में रहकर उन्‍होंने वकालत की शुरुआत की. चौधरी चरण सिंह अधिवक्‍ता के अलावा एक लेखक भी थे. उन्होंने इकोनामिक नाइट मेयर आफ इंडिया समेत कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं. चौधरी साहब महाभारत से जुड़ी कथाएं लोक शैली में गाते थे. 

यूपी में लेखपाल का पद बनाया
यूपी में लेखपाल का पद चौधरी चरण सिंह ने ही बनाया था. उन्‍होंने उत्‍तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून पारित कराया. 1967 में वह यूपी के मुख्‍यमंत्री बने. इसके बाद 1968 में इस्‍तीफा दे दिया था. 1970 में दोबारा मुख्‍यमंत्री बने. इसके बाद गृह मंत्री रहते हुए उन्‍होंने मंडल और अल्‍पसंख्‍यक आयोग की स्‍थापना की. राष्‍ट्रीय कृषि ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड की स्‍थापना की. इसके अलावा चकबंदी कानून, जमीदारी उन्मूलन विधेयक, ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की. 

 

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