बंद होगा दुनिया का 'नरक का द्वार', जानें क्यों इसे क्यों बुझाया जा रहा है

नवंबर 2013 में, कनाडा के खोजकर्ता जॉर्ज कौरोनिस द्वारा यह पाया गया कि तापमान के बावजूद अद्वितीय बैक्टीरिया क्रेटर के तल पर जीवित रहते हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 10, 2022, 01:01 PM IST
  • डरावने 230 फीट चौड़ा गड्ढे की आग को मीलों दूर से देखा जा सकता है
  • राजधानी अश्गाबात से 160 मील उत्तर में काराकुम रेगिस्तान में स्थित है
बंद होगा दुनिया का 'नरक का द्वार', जानें क्यों इसे क्यों बुझाया जा रहा है

अश्काबाद: दुनिया का नरक का द्वार बंद होने वाला है. तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने यह आदेश दिया है. तुर्कमेनिस्तान में पिछले 50 साल से यह गेटवे ऑफ हेल जल रहा है. तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में यह विशालकाय गड्ढा है. यह 229 फुट चौड़ा और 66 फुट गहरा एक गड्ढा है, जहां मीथेन गैस का रिसाव होता रहा है. इससे यहां हमेशा आग लगी रहती है. अब तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति बर्दीमुहामेदोव ने इसे बंद करने का आदेश दिया है. उन्होंने मंत्रियों को आदेश दिया है कि ऐसे विशेषज्ञों को खोजें, जो 1971 से जल रहे 230 फीट चौड़े इस मीथेन-बेल्चिंग क्रेटर को बंद कर सकें. आग बुझाने के बाद गड्ढे को भी ढंक दिया जाएगा. 

क्यों बंद किया जा रहा इसे
साल 2010 में भी राष्ट्रपति ने एक्सपर्ट्स को इस गड्ढे को भरने और इसकी आग बुझाने के लिए निर्देश दिया था. तीन साल बाद, तुर्कमेनिस्तान के नेता ने उग्र क्रेटर के आसपास के क्षेत्र को एक प्राकृतिक रिजर्व घोषित कर दिया. 

इस बार कहा गया है कि इस गड्ढे की वजह से हो रहे पर्यावरणीय नुकसान और पैसों के नुकसान के चलते इसे बंद किया जा रहा है. राष्ट्रपति बर्दीमुहामेदोव ने कहा कि आग स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है, साथ ही साथ बिक्री योग्य मीथेन को बर्बाद कर रही है. गड्ढा तुर्कमेनिस्तान के मुख्य पर्यटक आकर्षणों में से एक है, लेकिन यह पर्यावरणीय संकट का कारण भी है. 

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क्यों कहते हैं नरक का दरवाजा

लोग इसे नर्क का दरवाजा भी बुलाते हैं, क्योंकि इसके पास में दरवाजा नाम का गांव है. वहीं यहां ठीक वैसे आग जलती है जैसे धर्म ग्रंथों में नरक की आग जलने का जिक्र किया गया है. नवंबर 2013 में, कनाडा के खोजकर्ता जॉर्ज कौरोनिस द्वारा यह पाया गया कि तापमान के बावजूद अद्वितीय बैक्टीरिया क्रेटर के तल पर जीवित रहते हैं.

कब दिखी पहली बार आग
इस गड्ढे में पहली बार जब आग दिखाई दी जब सोवियत रूस के वैज्ञानिक इसकी खुदाई कर रहे थे. मिट्टी की ऊपरी परत एक भूमिगत गुफा में ढह गई, जिससे गैस से भरा एक बड़ा छेद खुल गया. स्थानीय लोगों और पशुओं को गैस के जहर से बचाने के लिए, भूवैज्ञानिकों ने इसे प्रज्वलित किया. उनका मानना ​​​​था कि आग हफ्तों के भीतर कम हो जाएगी. पर यह अभी भी जल रहा है. डरावने 230 फीट चौड़ा गड्ढे की आग को मीलों दूर से देखा जा सकता है. यह राजधानी शहर अश्गाबात से लगभग 160 मील उत्तर में काराकुम रेगिस्तान में स्थित है.

आपको बता दें कि तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति को दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाह के रूप में जाना जाता है. अगस्त 2019 में, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने 'माउथ ऑफ हेल' के चारों ओर एक रेस कार रैली करते हुए खुद का एक वीडियो जारी किया था. वह 16 साल से सत्ता में हैं.

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