नई दिल्ली. अभी तो दुनिया की महाशक्तियां हांगकांग मुद्दे पर चीन के खिलाफ खड़ी  हो रही हैं. आने वाले समय में दुनिया का हर देश चीन के विस्तारवाद का विरोध करता हुआ उसके खिलाफ खड़ा होगा क्योंकि आज हांगकांग और ताइवान हैं तो कल उनका भी नंबर आ जाएगा और चीन के विकासवादी पंजे उनको भी अपनी गिरफ्त में ले लेंगे.



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विरोध किया विवादित चीनी क़ानून का 


जर्मनी ने मुखर विरोध किया है हांगकांग को लेकर बनाये गए चीन के राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून का और इस क़ानून के खिलाफ बड़ा कदम उठा दिया है. जब हांगकांग को चीन ने अपने कब्जे में ले लिया है तो हांगकांग को किये जाने वाले हथियारों की सप्लाई चीन को हो जायेगी. हांगकांग की स्वतंत्रता छीनने का विरोध करते हुए अब जर्मनी ने हांगकांग को हथियार और सामान का निर्यात बंद कर दिया है.


हथियारों का निर्यात किया बंद 


चीन के राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून का सबसे पहले अमेरिका ने विरोध किया और उसके तुरंत बाद ब्रिटेन ने भी चीन को धमकी दी किन्तु चीन पर इसका कोई असर दिखाई नहीं पड़ा और चीन ने क़ानून बना कर 01 जुलाई 2020 से उसे हांगकांग पर लागू भी कर दिया. अब जर्मनी भी हांगकांग को लेकर चीन के खिलाफ मैदान में आ गया है और उसने चीन को की जाने वाली हथियारों की आपूर्ति बंद कर दी. 


आये यूरोपीय देश हांगकांग के साथ


अमेरिका और ब्रिटेन के बाद यूरोप के देशों ने हांगकांग के साथ खड़े हो कर अपनी एकता का प्रदर्शन किया है. न केवल हथियारों की आपूर्ति बल्कि जर्मनी ने चीन को दोहरे उपयोग के सामान का निर्यात भी बंद कर दिया है. अहम बात ये है कि जर्मनी ने यह बड़ा कदम यूरोपीय संघ की प्रतिक्रिया के अंतर्गत  उठाया . जर्मनी ने बयान दिया है कि यह जर्मनी का चीन के राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून पर प्रतिक्रिया देते हुए उठाया गया कदम है. 


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