इस्लामाबाद. पकिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र है और आज़ादी के समय देश का बंटवारा पकिस्तान मांगने वालों ने धार्मिक आधार पर ही किया था. लेकिन दुनियावी दिखावे के लिए उसने अपने देश में हिन्दुओं को बसने से इंकार भी नहीं किया. लेकिन आज वहां के हिन्दुओं की संख्या घट कर गिनती की रह गई है.



पाकिस्तान की हिंदू आबादी में चढ़ाव नहीं, सिर्फ उतार हुआ है 


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अब तक यूनाइटेड नेशंस ने और दुनिया के मानवाधिकार के ठेकेदारों ने पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं की दुर्गति की सुध नहीं ली है. पकिस्तान की हिन्दू आबादी पिछले सत्तर सालों से न केवल इस्लामी अत्याचारों का शिकार हुई है बल्कि उनका आम कत्लेआम और धर्म-परिवर्तन आज उनकी संख्या बिलकुल ही खत्म हो जाने की कगार पर पहुंचा चुका है.


हिन्दू खत्म होने वाले हैं पाकिस्तान में 


धार्मिक भेदभाव और कट्टरपंथियों के हमलों के शिकार पकिस्तान के हिन्दू अब इतने कम रह गए हैं कि अब उनकी जनसंख्या उँगलियों में गिनी जा सकती है. कहने का मतलब है कि पहले देश की एक चौथाई जनसंख्या वाला हिन्दू अल्पसंख्यक समूह इस देश में विनाश और विलुप्त होने की कगार पर है.  



पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का झूठा दावा 


पकिस्तान के हज़ार झूठों में एक बड़ा झूठ ये भी है जो वहां के विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी है कि पकिस्तान में हिन्दुओं की जनसंख्या बढ़ी है, घटी नहीं है. मंत्रालय का कहना था कि चुनावों के दौरान एकत्र किये गए आंकड़ों से ये जानकारी मिली है.


पहले थे 24 फीसदी हिन्दू अब रह गए हैं एक फीसदी  


हाँथ कंगन को आरसी क्या. हाल ही में अमेरिका से आई एक 74 पेज की रिपोर्ट के अनुसार नए आंकड़े चौंकाने वाले हैं. 1947 में हिन्दुओं की जनसंख्या पकिस्तान में  फीसदी थी जो अब एक फीसदी के आसपास ही बची है.