नई दिल्लीः पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रपति चुनाव की धूम है. इसके लिए 9 मार्च को मतदान होने हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो पाकिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के बीच कड़ी टक्कर देखी जा सकती है. एक ओर जहां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने आसिफ अली जरदारी को अपना उम्मीदवार बनाया है. 


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PTI ने महमूद खान अचकजई को बनाया है उम्मीदवार
वहीं, दूसरी ओर इमरान खान की पार्टी PTI ने महमूद खान अचकजई को अपना उम्मीदवार बनाया है. आसिफ अली जरदारी इससे पहले भी पाकिस्तान के राष्ट्रपति रह चुके हैं. मौजूदा समय में उनकी पार्टी PPP को सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (PML-N), मुत्ताहिदा कौमी-पाकिस्तान, पाकिस्तान लीग- कायद समेत कई दलों का समर्थन हासिल है. वर्तमान में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी है, जो इमरान खान की पार्टी PTI से हैं. बहरहाल, आइए जानते हैं पाकिस्तान में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है. 


भारत के ही तरह होता है पाकिस्तान में राष्ट्रपति का चुनाव
बता दें कि पाकिस्तान में भी राष्ट्रपति का चुनाव भारत के तरह ही होता है. यानी यहां भी राष्ट्रपति को चुनने का अधिकार पाकिस्तानी कौम के हाथों में न होकर जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के हाथों में होता है. जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही राष्ट्रपति के लिए मतदान करते हैं. इसका उल्लेख पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 41(3) में मिलता है. राष्ट्रपति के चुनाव के लिए पाकिस्तान के संसद के दोनों सदनों निचला सदन- नेशनल असेंबली और उच्च सदन- सीनेट के सदस्य वोटिंग करते हैं. 


चारों राज्यों के विधानसभाओं के सदस्य देते हैं वोट 
इसके अलावा 4 प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्य भी राष्ट्रपति के लिए मतदान करते हैं. संसद के दोनों सदनों के सदस्य इस्लामाबाद में संसद के विशेष सत्र में वोट डालते हैं. वहीं, विधानसभाओं के सदस्य अपने संबंधित विधान मंडलों में बुलाए गए अलग-अलग सत्रों में मतदान करते हैं. संसद के दोनों सदनों के सदस्यों की वोट वैल्यू एक होती है. यानी एक सदस्य के वोट को एक ही गिना जाता है. 


पाकिस्तान का सबसे छोटा राज्य है बलूचिस्तान
वहीं, विधानसभाओं में ऐसा नहीं होता है. बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे छोटा राज्य है. लिहाजा इस विधानसभा के सदस्यों की वोट वैल्यू एक होती है. वहीं, पंजाब विधानसभा में 5.70 सदस्यों के वोट को एक वोट माना जाता है. ठीक ऐसे ही सिंध में 2.58 और खैबर पख्तूनवा में 1.90 सदस्यों के वोट को एक वोट के बराबर माना जाता है. 


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