Explainer: कैसे काम करती है इजरायल की खूफिया एजेंसी मोसाद? नहीं छोड़ती अपना एक भी दुश्मन

Mosad: मोसाद अपने खेल को अंजाम देने के लिए कई तरीकों को अपनाता है, जिसमें सीक्रेट मिशन और खुफिया जानकारी जुटाना सबसे अहम होता है. किसी भी मिशन को पूरा करने के लिए  मोसाद को हफ्तेभर से लेकर ओक साल तक लग सकता है. 

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Jul 31, 2024, 02:04 PM IST
  • हमास चीफ की ईरान में हुई मौत
  • खूंखार है इजरायली खूफिया एजेंसी
Explainer: कैसे काम करती है इजरायल की खूफिया एजेंसी मोसाद? नहीं छोड़ती अपना एक भी दुश्मन

नई दिल्ली:  Mosad: इजरायल की खूफिया एजेंसी मोसाद दुनिया की सबसे खूंखार जासूसी संगठन है. कहा जाता है कि मोसाद एकबार जब अपने दुश्मनों को तबाह करने का संकल्प लेता है तो वह उसे खत्म करके ही मानता है. यही कारण है कि जासूसी दुनिया में मोसाद को 'किलिंग मशीन भी कहा जाता है. हाल ही में हमास चीफ इस्माइल हानिया की तेहरान में मौत हुई है. हमास का दावा है कि इसके पीछे भी इजरायल का हाथ है. चलिए जानते हैं कि आखिर कैसे इजरायल की खूफिया एजेंसी सीक्रेट ऑपरेशंस के जरिए अपने दुश्मनों का सफाया करती है. 

मोसाद अपने खेल को अंजाम देने के लिए कई तरीकों को अपनाता है, जिसमें सीक्रेट मिशन और खुफिया जानकारी जुटाना सबसे अहम होता है. किसी भी मिशन को पूरा करने के लिए  मोसाद को हफ्तेभर से लेकर एक साल तक लग सकता है. इजरायल के प्रधानमंत्री को मोसाद के हर ऑपरेशन की जानकारी रहती है. 

फर्जी नाम का इस्तेमाल 
मोसाद अपने ऑपरेशन को पूरा करने के लिए फर्जी नाम वाले ID का इस्तेमाल करता है. इसमें व्यक्ति को झूठी पहचान दिलाई जाती है. दुनियाभर की सभी खूफिया एजेंसी इसी तरह काम करती है. मोसाद के एजेंट खास नेटवर्क से जुड़े होते हैं, जो उन्हें दुनियाभर में किसी भी तरह के संसाधन हासिल करने में मदद करती है. इससे उन्हें कहीं कोई दिक्कत नहीं होती है. 

स्थानीय लोगों की भर्ती 
अपने मिशन को पूरा करने के लिए मोसाद हर टारगेट देशों के अंदर ही मुखबीरों और लोगों को भर्ती करता है. ये भर्तियां कई तरीके से की जाती हैं, जिनमें या तो वे लोग होते हैं, जिन्हें वे पहले से जानते हैं या फिर जिन्हें जानते हैं उनके जरिए ये काम करवाया जाता है. मोसाद की ऑपरेशनल विंग 'केसारिया' खासतौर से अरब देशों में जासूसों को तैनात करने का काम करती है. यही उन्हें मैनेज करके उनसे जरूरी सूचनाएं जुटाते हैं.  मोसाद शत्रु देशों के भगोड़ों से भी ऑपरेशन में मदद लेता है. 

सीक्रेट ऑपरेशन 
अपने टारगेट मर्डर को लेकर मोसाद काफी एक्टिव रहता है. खासतौर पर उन्हें लेकर जो इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा माने जाते हैं. इस काम को मोसाद कि 'किडॉन यूनिट' के एक्सपर्ट लोग अंजाम देते हैं. ये न केवल खास तरीके से हत्याएं करते हैं बल्कि तोड़फोड़ मचाने से भी पीछे नहीं हटते हैं. कि़डॉन यूनिट को ही खास जोखिम वाले ऑपरेशन को अंजाम देने का काम सौंपा जाता है, हालांकि इस तरह की कार्रवाई करने से पहले इजरायली प्रधानमंत्री की मंजूरी ली जाती है. 

निगरानी और साइबर ऑपरेशन 
मोसाद के एजेंट अपने लक्ष्य की निगरानी करने और खूफिया जानकारी जुटाने के लिए लोगों से निगरानी करवाती है. इसके लिए वे ड्रोन और सेटेलाइट के साथ ही कई तरह के इलेक्ट्रिक उपकरणों की मदद लेते हैं. अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए मोसाद अपनी साइबर क्षमताओं में तेजी लाता है. इसके लिए वे डाटा इकट्ठा करके और दुश्मन संचार में अंदर घुसने का रास्ता तलाश कर ही लेते हैं. मोसाद जानकरी जुटाने के लिए टेक्नोलॉजी के अलावा मानव बुद्धि (HUMINT) पर भी निर्भर रहता है.

अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग 
मोसाद अपने ऑपरेशन को सफल बनाने और खूफिया जानकारी जुटाने के लिए अन्य खूफिया एजेंसियों की भी मदद लेता है और इसमें सहयोग करता है. ये सहयोग मोसाद की क्षमताओं को बढ़ाने में भी मदद करता है. मोसाद को किसी भी ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए तेजी से फैसले लेने की छूट रहती है. 

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