क्या रोटी के लिए मोहताज होने वाला है पाकिस्तान?

ऐसा लग रहा है कि आने वाले दिनों में पकिस्तान में आटे का भारी संकट खड़ा होने वाला है, तमाम वजहों के बीच इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि इस वर्ष पाकिस्तान में गेहूं का पर्याप्त आयात नहीं होने से देश की जनता को रोटी की गंभीर समस्या से जूझना पड़ सकता है..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 21, 2020, 09:51 PM IST
    • इस वर्ष पाकिस्तान में आटे का पर्याप्त आयात नहीं होगा
    • डेढ़ टन गेहूं का भी आयात न हो सका इस वर्ष
    • पाकिस्तानी मीडिया से मिली जानकारी
 क्या रोटी के लिए मोहताज होने वाला है पाकिस्तान?

नई दिल्ली.  आतंक की फैक्ट्री चलाने वाले पाकिस्तान ने अपना भारी नुकसान कर लिया है. अब जब आने वाले दिनों में पाकिस्तान आटे की भारी किल्लत पेश आ सकती है, और रोटी की कमी से जूझने वाली जनता के दबाव में पाकिस्तानी सरकार की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. और ऐसे में मदद के लिए पकिस्तान भारत से किसी तरह की उम्मीद नहीं कर सकता है. आतंक बोने की बजाये पाकिस्तान में खेतों में गेहूं बोया गया होता तो आज भुखमरी की तैयारी न करनी पड़ती.

पर्याप्त आयात नहीं होगा

पाकिस्तान के पास हमेशा से दो विकल्प थे- या तो आतंकवादी आ जाएं या फिर गेहूं और आटा - पाकिस्तान ने आतंकवादी चुने हैं. आतंकवादियों की खेती करने वाले देश पाकिस्तान में आने वाले समय में आटे की भारी किल्लत सामने आ सकती है. वजह इसकी ये है कि इस बार पर्याप्त गेहूं का आयात पकिस्तान में नहीं हुआ है. पाकिस्तान के कई इलाकों में इन दिनों आटे की भारी कमी महसूस की जा रही है. गेहूं के आयात में देरी के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को जम कर कोसा है.

डेढ़ टन गेहूं का भी आयात न हो सका

पाकिस्तानी मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार वजीरे आजम इमरान खान ने कहा कि इस वर्ष यदि जुलाई में कम से कम 1.5 टन गेहूं का ही आयात कर लिया जाता तो आज स्थिति थोड़ी बेहतर हो सकती थी.  कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि सरकारी स्तर पर स्थिति को नियंत्रण में लेने की कोशिश पूरी की जायेगी. हालत ये है कि पाकिस्तान में महंगी हो गई है रोटी औऱ टमाटर के बाद अब आटे के भाव ने भी छू लिया है आसमान.

 

सरकारी स्तर पर हुई है गलती

संसदीय समिति की बैठक में शामिल एक व्यक्ति ने मीडिया को बताया कि ये अधिकारी स्तर पर नहीं बल्कि सरकारी स्तर पर हुई गलती है. अपना नाम सार्वजिनक न करने का आश्वासन मांग कर उसने कहा कि यह प्रधानमंत्री की प्रशासनिक विफलता है. जबकि इसके विपरीत वजीरे आजम इमरान का कहना है कि - "मैंने तो इस समस्या का समाधान कर लिया था और छह माह पहले ही अप्रेल में गेहूं के आयात का हुक्म जारी किया था पर उसकी तामील ही नहीं की गई''. ऐसे हुकुम की तब तामील होती है जब खजाने में पैसे होते हैं, वजीरेआजम साहब ! 

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