नई दिल्ली. पांच मोर्चों पर पहले से ही घिरा हुआ चीन छठे मोर्चे पर भारत से दो-दो हाथ करने का ताव दिखा रहा है. कुछ भी करना तो छोड़िये, कुछ भी सोचने से पहले चीन को दो बातें अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए - पहली ये कि जो गरजते हैं वो अक्सर बरसते नहीं हैं, और दूसरी अधिक महत्वपूर्ण बात ये कि जो खामोश रहते हैं वही अक्सर भारी पड़ते हैं. भारत ने कहा कुछ नहीं है पर कर सब कुछ डालेगा. बेहतर हो कि चीन ये भी अच्छी तरह से समझ ले कि आज नेहरू का 1962 वाला भारत नहीं बल्कि मोदी का 2020 का भारतवर्ष है उसके सामने.


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चीन के खिलाफ अलायंस 


कोरोना कॉन्सपिरेसी के मुजरिम चीन के बेनकाब हो जाने के बाद जो सबसे ज्यादा ज़रूरी आवश्यकता थी अब उस पर कार्य हुआ है.  चोरी की चोरी ऊपर से सीना जोरी वाले बेशर्म देश चीन को अब सब अलग-अलग चुनौती नहीं देंगे, अब उसके खिलाफ एक अलायंस तैयार किया गया है जो चीन का हिसाब करेगा. चीन के दुश्मन इस गठबंधन का नाम रखा गया है - आईपैक अर्थात इंटर-पार्लामेंटरी अलायंस ऑन चाइना (IPAC) जिसमें अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, नॉर्वे और यूरोप की संसद के सदस्य शामिल हैं.  


आठ देशों का चीन-विरोधी अलायंस  


चीन विरोधी इस ज़रूरी गठबंधन में दुनिया के ताकतवर आठ देश शामिल हुए हैं. अब तक खुल कर सामने नहीं आये ये देश अब साफ़ तौर पर चीन के खिलाफ खड़े हुए हैं. इन देशों ने चीन को व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा खतरा करार दिया है. 



 


लद्दाख सीमा पर भी नज़र है 


मूल रूप से तीन कारणों से ये आठ देश चीन के खिलाफ साथ आये हैं और ये कारण हैं कोरोना वायरस, साउथ चाइना सी और हॉन्ग-कॉन्ग. इतना ही नहीं भारत की लद्दाख सीमा पर चल रही चीनी धृष्टता पर भी इन देशों की बराबर नज़र बनी हुई है. ज़ाहिर है भारत ने अभी कहा कुछ नहीं पर शत्रु के खिलाफ खड़े भारत के मित्रों का भारत समर्थन करने से कभी चूकेगा नहीं.


''दुनिया के लिए तिहरा खतरा है चीन''


चीन को अब सम्हल जाना चाहिए क्योंकि इन आठ देशों ने, जिनमें अभी भारत शामिल नहीं हुआ है, चीन को दुनिया का तिहरा बड़ा खतरा बताया है. इस आठ देशों के चीन-विरोधी गठबंधन ने साफ़ साफ़ कहा है कि चीन की उपस्थिति वैश्विक व्यापार, वैश्विक सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए बड़ा खतरा है.



 


चीन ने कहा कि- बंद करो फर्जीवाड़ा 


चीन-विरोधी गठबंधन से तनावग्रस्त चीन का कहना है कि ये फर्जी गठबंधन हैं. चीन की हीन भावना का मुजाहिरा भी चीन के कुंठाग्रस्त इन शब्दों से हो गया जब उसने आईपैक के खिलाफ जुबान खोलते हुए कहा कि अब 20वीं सदी की तरह चीन को परेशान नहीं किया जा सकेगा और पश्चिम के नेताओं को कोल्ड वॉर वाली सोच से बाहर आ जाना चाहिए. कोल्ड वार से डरे हुए चीन ने स्वीकार किया है कि बीसवीं सदी में उसका दिमाग ठीक किया गया था. 


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