नई दिल्ली. गलती डोनाल्ड ट्रम्प की नहीं है, गलती तो उनकी बात समझने वालों की है. ट्रम्प अलग किसम के व्यक्ति हैं इसलिए हर बात वो अलग किसम से कहते हैं. लोगों की समझ में नहीं आती उनकी बात तो लोग तरह-तरह की बातें बनाते हैं उनकी बातों को लेकर. अब ट्रम्प ने ताज़ा-ताज़ा ये कह दिया कि भारत-चीन ज्यादा जांच करें तो कोरोना संक्रमण के मामले वहां अमेरिका से ज्यादा मिलेंगे. दरअसल अपनी रौ में बहते ट्रम्प ने इसके आगे अपना अगला वाक्य जो नहीं बोला वो ये था कि - शब्दों पर न जाओ, भावना को समझो!
ज्यादा जांच का मतलब है ज्यादा मामले
ऐसा कहते हुए दरअसल ट्रम्प की भावना ये थी कि अमेरिका ने सबसे ज्यादा कोरोना-जांच की है और इस मामले में वो दुनिया में अव्वल नंबर है. कोरोना अगर अमेरिका में कुछ ज्यादा ही फ़ैल गया है तो इसमें ट्रम्प का क्या कसूर. ट्रम्प ने कहा कि भारत और चीन जैसे देश अगर अपनी जांच की संख्या बढ़ाएं तो उनके यहां कोरोना संक्रमण के मामले ज्यादा निकलेंगे और वे अमेरिका से भी ज्यादा हो जाएंगे. कहने का मतलब ये है कि ट्रम्प के कहने का मतलब ये था कि ज्यादा जांच का मतलब है ज्यादा मामले.
अमेरिका ने दो करोड़ की जांच की है
डोनाल्ड ट्रम्प ने मासूमियत के साथ बताया कि आज अगर लगभग उन्नीस लाख कोरोना संक्रमण के मामले अमेरिका में हैं तो उसकी वजह यहां ज्यादा संख्या में हुई कोरोना की मेडिकल जांच है. उन्होंने आंकड़ा दिया कि अमेरिका ने दो करोड़ कोरोना टेस्टिंग की है, जबकि अमेरिका की तुलना में दक्षिण कोरिया में लगभग 30 लाख और जर्मनी में लगभग 40 लाख कोरोना टेस्टिंग हुई हैं.
भारत ने की चालीस लाख की जांच
अगर आंकड़ों से भी देखें तो ट्रम्प की बात बचकानी ही लगती है जो उनके अतिरेकी स्वभाव से मेल खाती है. भारत में सवा दो लाख मामले अगर चालीस लाख लोगों की जांच पर हैं तो दो करोड़ लोगों की जांच के बाद ये मामले ग्यारह लाख के आसपास ही पहुंचेंगे जबकि अमेरिका में तो साढ़े उन्नीस लाख के करीब पहुँच गए हैं. खैर ट्रम्प के मामले में फिर से यही कहना होगा कि ट्रम्प की बातों को नहीं, ट्रम्प की भावना को समझो और अगर फिर भी कुछ न समझ आये तो आगे बढ़ो. क्योंकि ट्रम्प से पूछने का फायदा कुछ नहीं. पहले तो वे बोल जाते हैं और बाद में भूल जाते हैं.
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