इस तरह 24 घंटे में 'बर्बाद' हो सकता है पाकिस्तान! यहां देखें- 11 सबूत

कंगाल पाकिस्तान बर्बादी के कगार पर खड़ा है और पूरी तरह से बदहाल हो चुका है. प्रधानमंत्री इमरान खान अपने ही बुने जाल में फंस चुके है. पाकिस्तान के अंदर इमरान खान के खिलाफ गुस्सा उफान पर है. और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की थू-थू हो रही है.

Last Updated : Oct 13, 2019, 07:43 PM IST
    • FATF ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था
    • 27 पॉइंट का ऐक्शन प्लान देते हुए एक साल का वक्त दिया गया था
इस तरह 24 घंटे में 'बर्बाद' हो सकता है पाकिस्तान! यहां देखें- 11 सबूत

नई दिल्ली: अगले 24 घंटे में इमरान खान के के मुंह पर कालिख पुतने वाली है. आतंक का सबसे बड़ा पनाहगार पाकिस्तान दुनिया के सामने बेपर्दा हो जाएगा. और यही वजह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को अगले 24 घंटे नींद नहीं आएगी. क्योंकि अगले 24 घंटे में पाकिस्तान और इमरान खान की किस्मत का फैसला होने वाला है. पाकिस्तान को उसके किए गए पापों की सजा का ऐलान हो सकता है.

आतंकवाद को पालने और पोसने वाले पाकिस्तान के गुनाहों का फैसला होने में देर हुई है. लेकिन कहते है कि देर आए दुरुस्त आए. पाकिस्तान के लिए अगले 24 घंटे बेहद तनावभरे है. कश्मीर पर प्रॉपेगैंडा फैलाने वाला पाकिस्तान आतंकियों से हमदर्दी को लेकर ब्लैकलिस्ट हो सकता है. 

नीचे पढ़ें 11 सबूत...

1). सोमवार से पैरिस में शुरू हो रही फाइनैंशनल ऐक्शन टास्क फोर्स यानी FATF की बैठक पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी है. इस बैठक में पाकिस्तान को ये साबित करना होगा कि उसने आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के साथ ही आतंकियों और उनके संगठनों के खिलाफ ठोस कदम उठाए हैं.

2). FATF ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था और 27 पॉइंट का ऐक्शन प्लान देते हुए एक साल का वक्त दिया गया था. एक साल में पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी संगठनों की टेरर फाइनैंशिग को बैंकिंग और नॉन-बैंकिंग, कॉर्पोरेट और नॉन-कॉर्पोरेट सेक्टरों से रोकने के उपाय करने थे. लेकिन हाल में हुई बैंकॉक मीटिंग में पाकिस्तान 27 पॉइंट्स के ऐक्शन प्लान में से सिर्फ 6 पर ही खरा उतर पाया. जबकि तकनीकी अनुपालन में भी पाकिस्तान को 40 में से 10 पॉइंट्स में संतोषजनक पाया गया था. 30 में पाकिस्तान जीरो था तो वहीं 10 महत्वपूर्ण पैरामीटर्स पर पाकिस्तान की स्थिति 'लो' थी. ऐसे में पाकिस्तान पर ब्लैकलिस्ट होने का खतरा और बढ़ गया है.

3). ब्लैकलिस्ट होने के खतरे से पाकिस्तान में सियासी भूचाल की आहट सुनाई देने लगी है. टीवी चैनल्स की डिबेट में विरोधी इसे सीधे-सीधे इमरान खान सरकार की नाकामी करा रहे है. पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी ने तो एक पाकिस्तानी टीवी चैनल पर यहां तक कह दिया कि इमरान खान की सरकार को विदेश संबंधों को मैनेज करने की समझ ही नहीं है.

4). पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी ने कहा कि 'पाकिस्तान में जो ढिंढोरा पीटा जा रहा है कि चीन ने हमें छोड़ दिया, साउदी अरब हमारे बचाव में नहीं आया, आप क्यों पाकिस्तान के दोस्तों को इस प्रक्रिया में डालना चाहते है. क्यों उनके ऊपर इतना बोझ डालना चाहते है. जो आपको अपनी अंदरूनी मामले निपटाने है आपको तो वो करना चाहिए, बजाय इसके कि आप रोज किसी ओर के दरवाजे पर खड़े हो और भीख मांग रहे हो कि आप हमे FATF से बचा ले, आप हमे सिक्यूरिटी काउंसिल से बचा ले. जो डिबेट होनी चाहिए वो ये है कि पाकिस्तान का ग्रे लिस्ट में जाने का नाम क्यों आया.'

5). पाकिस्तान पर ब्लैकलिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है तो पाकिस्तान एक बार फिर चीन और साउदी अरब से मदद की भीख मांग रहा है. FATF पर समर्थन जुटाने के लिए पाकिस्तान ने लगभग सभी सदस्य देशों से संपर्क किया और कोशिश की कि उसे ब्लैकलिस्ट न किया जाए. पाकिस्तान को तुर्की, मलयेशिया और चीन से मदद की आस है. संयुक्त राष्ट्र में इस्लामोफोबिया की बात कर पाक पीएम इमरान खान ने मुस्लिम देशों को साधने की कोशिश की थी. लेकिन इमरान खान सरकार की इन कोशिशों को ज्यादा भाव मिलता नजर नहीं आ रहा है. पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिन्ना रब्बानी ने तो यहां तक कह दिया कि पाकिस्तान को अपने अंदर झांकना चाहिए न की अपनी नाकामी का दोश दूसरे देशों पर मढ़ना चाहिए. 

6). आतंकवाद का जो बीज पाकिस्तान ने बोया है उसका फल भी अब उसी को भुगतना पड़ेगा. महज एक दिन पहले ही अमेरिका की शीर्ष सांसद मैगी हसन ने पाकिस्तान को साफ-साफ संदेश दिया था कि उसे तालिबान और दूसरे आतंकवादी संगठनों की मदद करनी बंद कर देनी चाहिए.

7). अमेरिकी सांसद के इस बयान से पाकिस्तान में खलबली मच गई है. अमेरिका कश्मीर पर पहले ही पाकिस्तान से किनारा कर चुका है. अमेरिका पहले ही कश्मीर पर भारत के साथ खुलकर खड़ा हो चुका है. ऐसे में अब अमेरिकी सांसद का आतंकवाद पर पाकिस्तान को आईना दिखाना इस बात का खुला संकेत है कि अगर पाकिस्तान अब भी नहीं सुधरा तो फिर उसे बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता. यहीं वजह है कि अमेरिकी सांसद के बयान के बाद पाकिस्तान में बहस छिड़ गई है. एक तबका पाकिस्तान में इस बात का खुलकर समर्थन कर रहा है कि अपना भविष्य बचाने के लिए आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.

8). आतंकवाद के आका पाकिस्तान की किस्तम का फैसला तो FATF की बैठक में अगले 24 घंटे में हो जाएगा. यहीं वजह है कि FATF में ब्लैकलिस्ट होने से बचने के लिए इमरान खान हर हथकंडा अपना रहे है. जिसके तहत पिछले दिनों पाकिस्तान ने कई आतंकियों को पकड़कर जेल में डालने का नाटक किया. हालांकि पुराना इतिहास देखें तो पाकिस्तान ऐसी कार्रवाई महज दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के लिए करता है. पाकिस्तान में आतंकियों को पूरी छूट रहती है और वो खुलेआम भारत और अमेरिका के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं. 

9). ऐसा नहीं है कि इमरान खान की मुश्किलें सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर ही है. बल्कि वो अपने घर में भी बूरी तरह घिर चुके है. पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की सत्ता खतरे में है. पाकिस्तान में जिस तरह की गतिविधियां तेज हुई हैं, उसको देखते हुए इमरान खान का सिंघाहन कब डोल जाए पता नहीं. इमरान खान कश्मीर को लेकर दुनिया के हर मंच पर भारत के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन का राग अलापते फिर रहे है. लेकिन अब इमरान खान अपनी 'दमनकारी' राजनीति के कारण अपने ही मुल्क में विरोधियों के निशाने पर है. इमरान खान पर अपने राजनीतिक विरोधियों को जेल में डालने का आरोप है. यही वजह है कि पाकिस्तान में इमरान खान के विरोधी अब एकजुट होने लगे है. विरोधी दलों ने इमरान खान के खिलाफ आजादी मार्च निकालने का ऐलान कर दिया है. 31 अक्टूबर को पाकिस्तान में मौलाना फजलुर रहमान की पार्टी जमियत उलेमा-ए-इस्लाम-फज्ल आजादी मार्च निकालेगी. इस आजादी मार्च में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी ने भी शामिल होने का ऐलान कर दिया है. नवाज शरीफ खुद जेल में है. लेकिन उनकी पार्टी का आजादी मार्च में शामिल होने इमरान खान के लिए बड़े खतरे की घंटी है.

10). मौलाना फजलुर रहमान पहले ही ये ऐलान कर चुके है कि आजादी मार्च सिर्फ इमरान खान की सरकार के खिलाफ एक प्रदर्शन नहीं है बल्कि ये इमरान को सत्ता से हटाने का काउंटडाउन है. मौलाना फजलुर रहमान के मुताबिक जब तक इमरान खान को वो सत्ता से उखाड़ कर बाहर नहीं कर देते उनका आजादी मार्च थमेगा नहीं. 

11). इमरान खान के गिरते ग्राफ को अब उनके सियासी गुरू पाकिस्तानी आर्मी के चीफ कमर जावेद बाजवा भी भाप चुके है. यही वजह है कि हाल में पाकिस्तानी सेना प्रमुख को देश के प्रमुख व्यवसायियों को संबोधित करते हुए देखा गया था. इतना ही नहीं वह चीन और पाकिस्तान के बीच हो रही कूटनीतिक बैठक में भी देखे गए थे जो इमरान खान और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हो रही थी. हाल ही में पाकिस्तान में ऐसी खबरें भी उड़ने लगी थीं कि तख्तापलट हुआ तो शाह महमूद कुरैशी अगले पीएम होंगे.

इन 11 सबूतों से पाकिस्तान की असल हालत का मुआयना करना काफी आसान हो जाता है. ऐसे में साफ है पाकिस्तान और इमरान खान की बर्बादी का काउंटडाउन शुरु हो चुका है. FATF ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में डाला तो कंगाली के कगार पर खड़े पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को तबाह होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. अगर FATF से पाकिस्तान को कुछ राहत अभी मिल गई तो घरेलू मोर्चे पर इमरान खान के सामने ऐसी चुनौती खड़ी है. जिससे पार पाना इमरान के लिए आसान नहीं होगा. यही वजह है कि अपनी डूबती नैय्या को बचाने के लिए इमरान खान सोते-जागते, खाते-पीते हर वक्त कश्मीर-कश्मीर का राग अलापते रहते है. इमरान खान कश्मीर के बहाने एक ओर जहां पाकिस्तान की जनता का ध्यान पाकिस्तान के अंदरूनी हालात से हटाना चाहते है तो वहीं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की बेज्जती पर भी वो कश्मीर के बहाने पर्दा डालने की कोशिशों में जुटे है.

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