इस्लामाबाद: वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) की निगरानी सूची में पाकिस्तान बना रहेगा. वह तब तक इस सूची में शामिल रहेगा, जब तक कि वह साबित नहीं कर देता कि जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जिसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से वैश्विक आतंकवादियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. वैश्विक धन शोधन-निरोधक और आतंकवादियों के वित्तपोषण पर नजर रखने वाली संस्था एफएटीएफ ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.
पेरिस में हुई बैठक में हुआ फैसला
यह निर्णय पेरिस स्थित एफएटीएफ की ‘ऑनलाइन’ बैठक के बाद आया. बैठक में इस वैश्विक नेटवर्क के 205 सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और संयुक्त राष्ट्र सहित कई पर्यवेक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. पूर्ण बैठक के बाद एफएटीएफ के अध्यक्ष डॉ. मार्कस प्लेयर ने घोषणा की कि पाकिस्तान निगरानी सूची में बना हुआ है.
आतंकी फंडिंग के खिलाफ पारदर्शिता से करे कार्रवाई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एफएटीएफ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आतंकवाद के खिलाफ 34 सूत्रीय एजेंडे में से चार को पूरा करने में पाकिस्तानी सरकार विफल रही है. अब एफएटीएफ का अगला सत्र अगले साल अप्रैल में होगा. एफएटीएफ अध्यक्ष की ओर से कहा गया कि हम चाहते हैं कि पाकिस्तान की तरफ से आतंकी फंडिंग के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई पारदर्शी हो.
संयुक्त राष्ट्र की ओर से घोषित आतंकी सरगनाओं और उनके सहयोगियों के खिलाफ पाकिस्तान सरकार कड़ी कार्रवाई करे. पाकिस्तान को दिखाना होगा कि संयुक्त राष्ट्र की ओर से घोषित हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों और उनके नेतृत्व वाले संगठनों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जा रहे हैं.
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उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान को जून, 2018 में एफएटीएफ ने निगरानी सूची में रखा था. उसे अक्टूबर, 2019 तक पूरा करने के लिये कार्य योजना सौंपी गयी थी. लेकिन उसे पूरा करने में विफल रहने के कारण वह एफएटीएफ की निगरानी सूची में बना हुआ है.
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