नई दिल्ली: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोग विरोध पर उतारु हो गए हैं. क्योंकि पाकिस्तान ने अपने अवैध कब्जे वाले कश्मीर (POK) के स्थानीय प्रशासन का नाम 'आजाद कश्मीर' से बदलकर 'जम्मू और कश्मीर प्रशासनिक सेवाएं' (JKAS) कर दिया है. कश्मीरियों का साफ कहना है कि पाकिस्तान उनके इलाके को अपने पंजाब प्रांत में मिलाने की साजिश रच रहा है. 


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गुलाम कश्मीर के कथित पीएम ने जारी किया आदेश
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के स्थानीय प्रशासन का नाम 'आजाद कश्मीर' से बदलकर 'जम्मू और कश्मीर प्रशासनिक सेवाएं' (JKAS) का आदेश POK के कथित प्रधानमंत्री फारूक हैदर खान ने जारी किया है. हैदर खान ने 11 दिसंबर को ये आदेश जारी किया था. 


स्थानीय कश्मीरी कर रहे हैं विरोध 
POK के राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान के इस कदम पर कड़ा विरोध जताया है। उनका आरोप है कि पाकिस्तान POK और गिलगित-बाल्टिस्तान की मौजूदा स्थिति को बदलकर उसको अवैध रुप से अपने पंजाब प्रांत में मिलाने की साजिश रच रहा है. 


POK के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान ने कश्मीर के इस हिस्से पर अवैध रुप से कब्जा जमा रखा है. संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के मुताबिक पाकिस्तान को इन इलाकों से हटना था लेकिन उस प्रस्ताव का पालन नहीं किया. पाकिस्तानी फौज आए दिन इस इलाके में स्थानीय कश्मीरियों का दमन जारी है. 


भारत के डर से पाकिस्तान ने उठाया कदम
पाकिस्तान भारत के डर से गुलाम कश्मीर की संवैधानिक स्थिति को बदलकर उसे पंजाब में मिलाना चाहता है. दरअसल इमरान खान भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा धारा 370 को हटाए जाने से बेहद खौफजदा हैं. क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह साफ तौर पर कह चुके हैं कि कि 'जब हम जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की बात करते हैं तो उसमें पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला कश्मीर भी अनिवार्य रूप से शामिल है'. 


पाकिस्तान किसी भी कीमत पर POK को भारत के हाथों में जाने से बचाना चाहता है. इसलिए वह गुलाम कश्मीर को अपने यहां के पंजाब में मिलाने की साजिश रच रहा है. 


ये है पाकिस्तान की मंशा
पाकिस्तान अच्छी तरह जानता है कि पूरा जम्मू कश्मीर की संवैधानिक एक क्षेत्र विशेष की है. बरसों से उसने गिलगित बाल्टिस्तान, नीलम घाटी, मुजफ्फराबाद यानी पूरे POK को कब्जे में रखा हुआ है. लेकिन वास्तव में यह श्रीनगर प्रशासित कश्मीर का हिस्सा है. जिसपर भारत अचानक हमला करके कभी भी काबिज हो सकता है. ऐसे में विवादित क्षेत्र होने के की वजह से अगर उसपर भारत का एक बार कब्जा हो गया तो उसे वह कभी वापस नहीं ले पाएगा. 


इसीलिए वह गुलाम कश्मीर की संवैधानिक स्थिति को बदलकर उसे पंजाब प्रांत में मिलाना चाहता है. अब इमरान खान सरकार इस प्रस्ताव को अपनी संसद के जरिए संवैधानिक रुप से पास कराने का नाटक करके गुलाम कश्मीर को पंजाब का हिस्सा बनाने की कोशिश करेंगे. 


जिससे कि उस इलाके पर किसी भी तरह का हमला पाकिस्तान की सीमाओं पर हमला माना जाए और पाकिस्तान पूरी ताकत से इसे अपनी संसद का हवाला देते हुए अपने खिलाफ युद्ध की संज्ञा दे सके. 


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