नई दिल्ली: नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने भारत के कुछ हिस्सों पर झूठा दावा करने वाले विवादित नक्शे को नेपाली संसद में पारित करवा दिया है. इससे भारत में लोग तो नाराज हैं ही , बल्कि साथ में करोड़ों की संख्या में नेपाल के नागरिक भी नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ हैं.


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देश में इस वामपंथी सरकार के खिलाफ विरोध के स्वर तेज हो गए हैं. कई राजनीतिक दल इस नक्शे के खिलाफ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की आलोचना कर रहे हैं. आपको बता दें कि नेपाल में करोड़ों की संख्या में भारत समर्थक लोग हैं जो भारत को अपने देश की तरह प्यार करते हैं.


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नेपाल के कई विपक्षी राजनीतिक दल नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार से नाराज हैं और वे भारत का समर्थन कर रहे हैं. नेपाल के मर्चवार क्षेत्र से कांग्रेसी विधायक अष्टभुजा पाठक, भैरहवां के विधायक संतोष पांडेय और राष्ट्रीय जनता समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता महेंद्र यादव ने कहा कि नेपाल की संसद ने नक्शे में बदलाव के लिए पहाड़ पर खींची जिस नई लकीर पर मुहर लगाई है, वह देश के मैदानी इलाकों में दरार का कारण बन रही है. इससे नेपाल को भारी नुकसान होने की आशंका है.


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एक करोड़ मधेशी नागरिक नेपाली सरकार के खिलाफ


आपको बता दें कि नेपाल में कई लोग भारत का समर्थन करते हैं और उन्हें चीन से कोई लगाव नहीं है. भारत और नेपाल के कोई कूटनीतिक सम्बन्ध नहीं बल्कि आत्मीय संबंध हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और नेपाल में रोटी बेटी का सम्बंध है. भारत से रोटी-बेटी का रिश्ता रखने वाले नवलपरासी, रूपनदेही समेत 22 जिलों के लगभग एक करोड़ मधेशी नागरिक इस नए नक्शे को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं. लिपुलेख, कालापानी व लिंपियाधुरा के मुद्दे पर उपजे तनाव का असर भारत-नेपाल की 1751 किलोमीटर लंबी सरहद पर भी नजर आ रहा है जो फिलहाल उदास है.


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नेपाल में कम्युनिस्ट सरकार का विरोध


नेपाल के लोग चाहते हैं कि भारत के साथ मधुर संबंध बनाए जाएं. नेपाल के आम नागरिकों को चीन के बजाय भारत पर अधिक भरोसा है. इसीलिए नेपाल के नागरिक वामपंथी सरकार का विरोध कर रहे हैं. प्रतिनिधि सभा में विवादित नक्शे को लेकर पेश संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी मिलने से तराई के सीमावर्ती इलाकों में लोग बहुत विद्रोही रुख अपनाए हुए हैं.


आपको बता दें कि भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार झूठा दावा करती है. नेपाल ने 18 मई को एक नया नक्शा जारी किया था, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपना हिस्सा बताया था. नेपाल ने अपनी संसद में भारत के कुछ हिस्सों पर अपना दावा ठोकते हुए विवादित नक्शे को अपनी संसद में दो तिहाई से भी अधिक बहुमत से पास कर दिया.