नई दिल्ली: भारत का पड़ोसी देश नेपाल, जिसके साथ भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ते भी रहे हैं. चीन उन रिश्तों में दरार डालने की लगातार कोशिशें करता रहा है. लेकिन अब चीन के इन मंसूबों पर पानी फिरने वाला है. क्योंकि नेपाल में अब चीन के खिलाफ आवाजें बुलंद होने लगी हैं. चीन ने नेपाल के 11 इलाकों पर कब्जा किया है. जिसके खिलाफ अब नेपाल की संसद में प्रस्ताव लाया गया है.


चीन के खिलाफ अब नेपाल में बगावत!


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नेपाल और भारत की दोस्ती का मजाक बनाने वासी ओली सरकार चीन के बहकावे में आ रही है. लेकिन चीन उल्टे नेपाल के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है. यही वजह है कि तीन ने नेपाल के 11 इलाकों पर अपना कब्जा जमा रखा है. जिसके खिलाफ नेपाल में आवाज बुलंद होने लगी है. और ड्रैगन के इस कब्जे के विरोध में नेपाल के संसद में तीन सांसदों ने प्रस्ताव भी पेश कर दिया है. 


आपको जानकारी दे देते है कि इस प्रस्ताव के जरिए सरकार के सामने इस मामले की पूरी जांच कराने की मांग रखी गई है. इतना ही नहीं प्रस्ताव में अपने इलाके को चीन से वापस लेने की भी मांग रखी गई है.


नेपाल के 11 इलाके चीन ने कब्जा कर रखे हैं. चीन का नेपाल की 64 हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण है, प्रस्ताव में कहा गया है कि सीमा पर 35 खंभों को हटाया गया है. ये भी जानकारी दी गई है कि गोरखा के रूई गांव चीन तिब्बत क्षेत्र में मिले. रुई गांव के 72 घर, जबकि दारचुला में 18 घर चीन के क्षेत्र में हैं. 


चीन की जमीन हड़पने की योजना पर फिरेगा पानी!


चीन का पड़ोसियों की ज़मीन हड़पने की आदत सारी दुनिया जानती है. और अब जो नेपाल चीन को अपना सबसे बड़ा हितैषी मान रहा है. उसको भी चीन की असलियत अब दिखने लगी है.


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यानी जिस नेपाल का इस्तेमाल चीन भारत के खिलाफ करने में कर रहा था. वही नेपाल अब जागने लगा है, जिस नेपाल को चीन अपना नया प्यादा बनाने की कोशिश कर रहा था. वही नेपाल अब आवाज उठाने लगा है. चीन नेपाल की जमीन हड़प रहा है लेकिन नेपाल की ओली सरकार मौन है. मगर, जनता अब सड़कों पर उतर कर विरोध जता रही है.


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चीन इन दिनों नेपाल को उकसा कर वहां भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है. नेपाल की सरकार चीन के इशारे पर चल रही है, जिसकी वजह से भारत-नेपाल के रिश्तों में तनाव आ गया है लेकिन नेपाल के लोग अपनी सरकार के रवैये से खुश नहीं हैं वो भारत के साथ दोस्ती चाहते हैं.


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