कोलंबो. श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार को कहा कि सरकारी परिसंपत्तियों का उपयोग कर सरकार एक राष्ट्रीय धन कोष स्थापित करने की योजना बना रही है. यह नॉर्वे, कतर और सिंगापुर जैसे देशों द्वारा बनाई गई निवेश कंपनियों के समान होगा. विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने आर्थिक पतन के दौरान देश की बागडोर संभाली थी और इसके पुनर्निर्माण के लिए 'कठिन निर्णय' लिए थे.


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हमारे देश के लोग धैर्य न दिखाते तो...
विक्रमसिंघे ने कहा कि अगर श्रीलंका के लोग धैर्य न द‍िखाते, तो बांग्लादेश की ही तरह श्रीलंका का भी हश्र हो सकता था. एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि अगर लोग देश पर शासन करने के लिए सड़कों पर उतर आए होते तो श्रीलंका को भी आज बांग्लादेश जैसा ही हश्र झेलना पड़ सकता था. अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए कठिन और अलोकप्रिय निर्णय लेने की आवश्यकता थी, इसमें अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के परामर्श से आवश्यक कदम उठाना भी शामिल था.


भारत के साथ आर्थिक सहयोग पर चर्चा
बता दें कि पिछले सप्ताह विक्रमसिंघे ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की कोलंबो यात्रा के दौरान भारत के साथ चल रहे आर्थिक सहयोग पर चर्चा की थी. विक्रमसिंघे ने पिछले कुछ महीनों में भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश को 'निरंतर समर्थन' देने के लिए धन्यवाद दिया है.


उन्होंने श्रीलंका के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत के साथ मजबूत साझेदारी बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी व्यक्त की है. साथ ही परिवर्तनकारी द्विपक्षीय परियोजनाओं के उद्देश्य से एक व्यापक एजेंडे पर प्रकाश डालते हुए इसके प्रयासों में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल दिया. श्रीलंका के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए नौ जून को नई दिल्ली में थे.


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