नई दिल्ली.  चोर चीन के चौदह पड़ौसी देशों में से एक तिब्बत भी है. चीन का ये पड़ौसी देश भी चीन से परेशान है और गाहेबगाहे चीन के खिलाफ तिब्बत का दर्द सामने आ ही जाता है. जब चीन को गलवान पर अपना दावा करते तिब्बत ने सुना तो उसने तुरंत इसका विरोध किया है और कहा है कि गलवान चीन का हिस्सा नहीं है भारत के लद्दाख क्षेत्र का हिंसा है.


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तिब्बती पीएम ने खारिज किया चीनी दावा 


तिब्बत के प्रधानमंत्री पीएम लोबसंग सांगेय ने चीन के गलवान पर दावे का सीधा विरोध कर दिया है. इस विरोध को आवाज़ देते हुए लोबसंग सांगेय ने बयान जारी करके कहा कि अहिंसा भारत की परंपरा है और भारत सदा इसका पालन करता है जबकि चीन अहिंसा की बातें तो करता है, लेकिन पालन कभी भी नहीं करता है. लोबसंग सांगेय तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री हैं. 


नाम ही लद्दाख का दिया हुआ है 


तिब्बती प्रधानमंत्री ने गलवान पर चीन के अधिकार को झूठा साबित करते हुए कहा है कि चीन कि सरकार गलत दावा कर रही है. गलवान नाम ही लद्दाख का दिया हुआ है, ये तथ्या जान्ने के बाद ऐसे झूठे  दावों का कोई अर्थ नहीं रह जाता है.


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तिब्बती मुद्दे का समाधान जरूरी 


सबसे अहम बात कि तरफ संकेत करते हुए तिब्बत की निर्वासित सरकार के पीएम लोबसंग सांगेय ने कहा कि जब तक तिब्बत का मुद्दा हल नहीं होता तब तक इस क्षेत्र में तनाव बना रहेगा. बात भी बिलकुल ठीक है क्योंकि तिब्बत को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र की पहचान मिलने के बाद भारत की सीमा चीन से नहीं बल्कि लद्दाख से मिलेगी.


 


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