अभी तो पार्टी शुरू हुई है: रेलवे ने चीन से छीना साढ़े चार सौ करोड़ का ठेका

भारत अब क्रुद्ध है. इसका प्रमाण चारों तरफ देखने को मिल रहा है. सारा भारत चीनी सामान का बहिष्कार कर रहा है. बीएसएनएल ने चीनी उत्पादों को बाहर करने के लिए कदम बढ़ा दिया है. अब भारतीय रेलवे ने भी चीन की कम्पनी साढ़े चार सौ करोड़ से ज्यादा का दिया हुआ ठेका ले लिया है वापस..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 18, 2020, 06:40 PM IST
    • रेलवे ने चीन से छीना साढ़े चार सौ करोड़ का ठेका
    • 471 करोड़ रुपये का था ये ठेका
    • रेलवे ने चार साल पुराना कॉन्ट्रैक्ट वापस ले लिया है.
अभी तो पार्टी शुरू हुई है:  रेलवे ने चीन से छीना साढ़े चार सौ करोड़ का ठेका

नई दिल्ली. सब जानते हैं कि भारतीय रेलवे ने क्यों ऐसा किया है. हर भारतीय नागरिक जानता है और खुद चीन की ये कम्पनी भी जानती है. लेकिन फिर भी भारतीय रेलवे ने इस औपचारिकता की पूर्ती कर दी है और इस कदम की कैफियत पेश कर दी है ताकि घर से निकाले जा रहे अब तक के मेहमान को ठेस न लगे. मेहमान जानता है कि शैतान बन चूका है वो और हिन्दुस्तान शैतान को लतियाने वाला है. इसलिए बेहतर है कि वक्त के पहले निकल लिया जाए.

 

470 करोड़ रुपये का था ये ठेका 

भारतीय रेलवे ने ये जो ठेका छीन लिया है चीन की कंपनी से वह मूल रूप से चार सौ सत्तर करोड़ रुपये का है. चीन को अब धीरे धीरे दर्द महसूस होने लगा है. भारत ने उसको वहां चोट मारनी शुरू कर दी है जहां उसे सबसे ज्यादा दर्द होता है. भारत की सरकार ने देश की जनता का साथ देना शुरू कर दिया है और देश की जनता ने चीन को आर्थिक रूप से ठोंकने के लिए कमर कस ली है.

अभी तो ये शुरुआत है 

अभी शुरुआत में ही भारत के दो बसे बड़े विभागों बीएसएनएल और भारतीय रेलवे ने चीन के सामान का खुला बहिष्कार शुरू कर दिया है. भारत की एक बड़ी टेलीकॉम कम्पनी बीएसएनएल के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे - भारतीय रेलवे भी इसी रास्ते पर चल पड़ा है. चीन के बहिष्कार की इस बड़ी शुरुआत के बाद अब कहा जा रहा है कि यदि भारत सरकार के स्तर पर बहिष्कार का फैसला कर लिया गया तो केवल भारतीय रेलवे से ही चीनी कंपनियों को जबरदस्त नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. 

कारण बताया रेलवे ने 

हर साल भारतीय रेलवे सात से आठ हजार रेलवे कोच का निर्माण करवाता है. इतना ही नहीं, भारतीय ट्रेनों में बहुत सारा विदेशी सामान लगाया जाता है जिनमें कुछ यूरोप का भी है किन्तु अधिकांशतः ये सारा सामान चीन से ही आयात होता है. अब इस आयात होने वाले सामान को रोकने की दिशा में कदम उठाया जाने लगा है. भारतीय रेलवे के डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर ने काम कम होने का कारण देते हुए पिछले चार साल से चल रहे चीनी कंपनी को दिए गए 471 करोड़ रु का कॉन्ट्रैक्ट वापस ले लिया है.

ये भी पढ़ें. सीमा पर बढ़ी नेपाल सेना की गतिविधियां

ट्रेंडिंग न्यूज़