नई दिल्ली: पाकिस्तान ने 70 वर्षों से जम्मू कश्मीर के एक हिस्से पर अवैध कब्जा कर रखा है और अब उसी पीओके के एक हिस्से गिलगित बाल्टिस्तान में पाकिस्तान की इमरान सरकार दिखावे का एक चुनाव करवा रही है.
गिलगित-बाल्टिस्तान और PoK गंवाएंगे इमरान?
आज गिलगित-बाल्टिस्तान एसेम्बली के लिये प्रतिनिधि चुनने के लिये चुनाव हो रहे हैं. गिलगित बाल्टिस्तान उसी पीओके का हिस्सा है, जो भारत का अभिन्न अंग है और इमरान का ये दाव पाकिस्तान के खंड-खंड होने का काउंट डाउन है.
अवैध कब्ज़ा करना और उस कब्जे पर अपनी मनमानी दिखाना कोई इमरान खान से सीखे. जो गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का हिस्सा है, जिसे 1947 में पाकिस्तान ने धोखे से अपने कब्जे में ले लिया था, उस गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान अपना हिस्सा बनाने की साजिशें करने में जुटा है. पहले इमरान खान ने गिलगित-बाल्टिस्तान की एक जनसभा में भारत के इस इलाके को अलग अंतरिम प्रांत का दर्जा देने की घोषणा की और अब वहां दिखावे के लिए चुनाव कराए जा रहे हैं.
सुनो इमरान, हमारा है गिलगित-बाल्टिस्तान!
गिलगित-बाल्टिस्तान एसेम्बली के लिये प्रतिनिधि चुनने के लिए वोटिंग करवाई गई. इसके लिए पाकिस्तान की सभी मुख्यधारा की पार्टियों ने वहां प्रचार किया है और आशंका है कि इन चुनाव के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का एक प्रांत घोषित कर दिया जाएगा.
पाकिस्तान की इस हरकत पर भारत भी अपना कड़ा ऐतराज जता चुका है, लेकिन पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं है. यहां तक कि वो गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों की आवाज भी कुचल रहा है. जहां पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है.
2019 में PoK पर 'अटल संकल्प', 2020 में होगा पूरा?
पाकिस्तान अपने अवैध कब्जे को अपना हिस्सा बनाने पर तुला है. लेकिन इमरान खान को ये समझ लेना चाहिए कि गिलगित-बाल्टिस्तान से लेकर पूरा पीओके भारत का है और उसे हासिल करना ही भारत का अटल संकल्प है. मतलब साफ है भारत ने जो संकल्प 2019 में लिया था उसे पूरा करने का वक्त आ चुका है. हम किस संकल्प की बात कर रहे हैं आपको ये समझाते हैं.
PoK पर नापाक कब्ज़ा
28 अक्टूबर 2019 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ शब्दों में कहा था कि "भारत का कुछ हिस्सा उनके हाथ चला गया है, गैर कानूनी तरीके से कब्जा करके रखा है. वो कसक अभी भी हमारे दिलों में है."
PoK खाली करो इमरान
5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 का खात्मा करने के बाद देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पीओके के लिए जान दे देंगे.
'खंड-खंड' पाकिस्तान कराकर मानेंगे इमरान?
जाहिर है इमरान की गुस्ताखी पाकिस्तान को भारी पड़ेगी. इमरान कितना भी चीन के दबाव में आकर गिलगित बाल्टिस्तान पर कोई ऐलान कर दें, लेकिन इमरान और बाजवा को ये समझ लेना चाहिए कि अब खंड-खंड पाकिस्तान से अखंड भारत का सपना बहुत जल्द साकार होगा.
PoK पर कब्ज़े का इतिहास
भारत का कहना है कि रणनीतिक रूप से गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है, जिस पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है. पीओके पर पाकिस्तान के कब्जे का इतिहास आपको बताते हैं.
15 जून 1947
नो-टैक्स अभियान के रूप में आंदोलन पुंछ, कश्मीर राज्य की आंतरिक रियासत से शुरू हुआ.
15 अगस्त 1947
पुंछ रियासत पर पाकिस्तान समर्थित गुटों का हमला हुआ. पाकिस्तान का झंडा फहराने की कोशिश की गई
12 सितंबर 1947
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली की बैठक हुई. सेना और कबीलाइयों के बड़े हमले की योजना बनाई
4 अक्टूबर 1947
थोरार इलाके में पाक समर्थित विद्रोहियों का बड़ा हमला हुआ और पुंछ में राज्य के सुरक्षा बलों की घेराबंदी की.
22 अक्टूबर 1947
कबीलाइयों का मुज़फ्फराबाद और बारामूला पर कब्ज़ा किया और श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों तक भी पहुंचे.
24 अक्टूबर 1947
सरदार इब्राहिम ने AJK की स्थापना की घोषणा की खुद को प्रमुख बनाया.
26 अक्टूबर 1947
महाराजा हरि सिंह का भारत के साथ जाने का फ़ैसला इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर हस्ताक्षर किये.
27 अक्टूबर 1947
भारतीय वायु सेना ने जम्मू-कश्मीर में प्रवेश किया. श्रीनगर में भारतीय सैनिक उतारने शुरू किये.
31 अक्टूबर 1947
महाराजा हरि सिंह ने पूरे जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय करने की मंजूरी दी.
1 जनवरी 1948
भारत-पाकिस्तान युद्ध के बीच भारत ने संयुक्त राष्ट्र से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की. संयुक्त राष्ट्र ने तुरंत दखल किया, यथास्थिति पर युद्ध विराम का आदेश दिया. तब से PoK पर पाकिस्तान का कब्ज़ा है.
अब हिंदुस्तान का 'रौद्र रूप' देखेगा पाकिस्तान
भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान में हो रहे चुनावों को लेकर कड़ा विरोध दर्ज करवाया. भारत ने कहा है कि पाकिस्तान को चुनाव कराने का कोई अधिकार नहीं है, PoK में लोगों की आवाज़ दबाई जा रही है. गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग है. अगर पाकिस्तान ने अपनी करतूतों पर लगाम नहीं लगाया तो इमरान खान को अब हिन्दुस्तान के रौद्र रूप का सामना करना पड़ेगा.
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