नई दिल्ली: अमेरिका ने स्वीकार किया है कि इराक के अल असद में बने अमेरिका के बेस पर ईरान के हमले में उसके 11 सैनिक घायल हो गए थे.  ईरान ने ये हमला 8 जनवरी को किया था. दुनिया भर की मीडिया में इसे लेकर कयासों का दौरा शुरू हो गया. लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने उस वक्त कहा था कि ईरान के अटैक से उसका कोई नुकसान नहीं हुआ है.


हमले के 9 दिनों बाद अमेरिका का कबूलनामा


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यानी कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति डॉनल्ड ट्रंप ने दुनिया से सच छिपाने की कोशिश की. और अपनी जनता के सामने कहा था, 'ऑल इज वेल' लेकिन अमेरिका के सैनिकों को लगे जख्मों को ज्यादा वक्त छिपाना मुमकिन नहीं था. आज अमेरिका के कबूनामे के पीछे वजह भी यही है.


जनरल सुलेमानी की हत्या से ईरान लगातार सुलग रहा है. और यही चिंगारी ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के रुख में दिख रहा है. इतना ही नहीं हसन रूहानी ने अपने देश के बैंकों के प्रमुखों की बैठक में इसे लेकर ऐलान भी कर दिया. ईरान ने दावा किया है कि उनका परमाणु कार्यक्रम कई देशों से बेहतर स्थिति में है. अमेरिका से समझौता टूटने के बाद ही ईरान ने बगावती तेवर अख्तियार कर लिए है. उसने यूरेनियम संवर्धन को 4.5% तक बढ़ा दिया है.


हसन रूहानी का बड़ा दावा


हसन रूहानी ने कहा कि ''दुनिया के शक्तिशाली देशों के मुकाबले ईरान के परमाणु कार्यक्रम बेहतर स्थिति में है. रूहानी ने कहा कि ईरान में यूरेनियम के संवर्धन की कोई सीमा नहीं है. 2015 के समझौते की शर्तों के मुताबिक ईरान को यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम रोकना था. लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 2018 में परमाणु समझौते को रद्द कर दिया था. 3 जनवरी को अमेरिकी ड्रोन हमले में जनरल कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद ईरान ने परमाणु समझौते से अपने ऐप को पूरी तरह से अलग कर लिया. ईरान अब समझौते में लगाई गई किसी भी पाबंदी को नहीं मानेगा जिसमें यूरेनियम संवर्धन को कम करना भी शामिल है.''


ट्रंप ने 2018 में परमाणु समझौते को कर दिया था रद्द


2015 में समझौते के तहत ईरान ने परमाणु गतिविधियों को सीमित करने और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को आने की इजाजत दी थी. इसके बदले अमेरिका ने ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को खत्म कर दिया था. लेकिन ट्रंप ने 2018 में परमाणु समझौते को ही रद्द कर दिया. वजह ये है कि ट्रंप, ईरान से नया समझौता करना चाहते हैं. ये समझौता ईरान के परमाणु कार्यक्रम और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर रोक लगाने वाला है. तब से अमेरिका ने ईरान की अर्थव्यवस्था पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं.


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अमेरिका से बिगड़े संबंध के बाद ईरान ने यूरेनियम बनाना तेज कर भी दिया है. खबरों के मुताबिक हाल के महीनों में ईरान ने यूरेनियम संवर्धन को 4.5 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. ये समझौते में तय 3.67 प्रतिशत की सीमा से अधिक है. हालांकि परमाणु हथियार में इस्तेमाल होने के लिए यूरेनियम को 90 प्रतिशत तक समृद्ध किया जाना चाहिए. ऐसे में दुनिया की नजर ईरान पर है. क्या वो यूरेनियम का संवर्धन जारी रखेगा और क्या वो तमाम अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकना स्वीकार नहीं करेगा.


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