रूस से एस-400 मिसाइल खरीद पर भारत को प्रतिबंधों की धमकी देने वाला अमेरिका क्यों झुका? जानें

अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने भारत को रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली (S-400 missile system) खरीदने के लिए सीएएटीएसए प्रतिबंधों से खास छूट दिलाने वाले एक संशोधित विधेयक को बृहस्पतिवार को पारित कर दिया. सवाल यह है कि अब तक प्रतिबंधों की धमकी दे रहे अमेरिका ने भारत को ये छूट क्यों दी?

Written by - Jyoti Thakur | Last Updated : Jul 15, 2022, 08:17 PM IST
  • चीन को रोकना है अमेरिका का मकसद
  • भारत को नाराज नहीं करना चाहता USA
रूस से एस-400 मिसाइल खरीद पर भारत को प्रतिबंधों की धमकी देने वाला अमेरिका क्यों झुका? जानें

नई दिल्लीः अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने भारत को रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली (S-400 missile system) खरीदने के लिए सीएएटीएसए प्रतिबंधों से खास छूट दिलाने वाले एक संशोधित विधेयक को बृहस्पतिवार को पारित कर दिया. भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना की ने ये संशोधित विधेयक पेश किया. यानी अब भारत रूस से बेरोकटोक एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीद सकेगा. अब सवाल यह है कि अब तक प्रतिबंधों की धमकी दे रहे अमेरिका ने भारत को ये छूट क्यों दी? 

चीन जैसे आक्रामक रुख वाले देश को रोकने है मकसद
दरअसल, इस संशोधित विधेयक में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन से भारत को चीन जैसे आक्रामक रुख वाले देश को रोकने में मदद करने के लिए ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट’ (CAATSA) से छूट दिलाने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया गया है. राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार कानून (NDAA) पर सदन में चर्चा के दौरान बृहस्पतिवार को ध्वनि मत से यह संशोधित विधेयक पारित कर दिया गया. 

'भारत के साथ खड़ा रहना चाहिए'
खन्ना ने कहा, ‘अमेरिका को चीन के बढ़ते आक्रामक रुख के मद्देनजर भारत के साथ खड़ा रहना चाहिए. भारत कॉकस के उपाध्यक्ष के तौर पर मैं हमारे देशों के बीच भागीदारी को मजबूत करने और यह सुनिश्चित करने पर काम कर रहा हूं कि भारतीय-चीन सीमा पर भारत अपनी रक्षा कर सकें.’ उन्होंने कहा, ‘यह संशोधन अत्यधिक महत्वपूर्ण है और मुझे यह देखकर गर्व हुआ कि इसे दोनों दलों के समर्थन से पारित किया गया है.’ 

दोनों देशों के संबंधों का किया जिक्र
सदन में अपनी टिप्पणियों में खन्ना ने कहा कि अमेरिका-भारत भागीदारी से ज्यादा महत्वपूर्ण अमेरिका के रणनीतिक हित में और कुछ भी इतना जरूरी नहीं है. विधेयक में कहा गया है कि यूनाइटेड स्टेट्स-इंडिया इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीस (ICET) दोनों देशों में सरकारों, शैक्षणिक समुदाय और उद्योगों के बीच करीबी साझेदारी विकसित करने के लिए एक स्वागत योग्य और आवश्यक कदम है ताकि कृत्रिम बुद्धिमता, क्वांटम कम्प्यूटिंग, जैव प्रौद्योगिकी, एरोस्पेस और सेमीकंडक्टर विनिर्माण में नवीनतम प्रगति को अपनाया जा सकें. 

इसमें कहा गया है कि इंजीनियर और कम्प्यूटर वैज्ञानिकों के बीच ऐसी भागीदारी यह सुनिश्चित करने में अहम है कि अमेरिका और भारत के साथ ही दुनियाभर में अन्य लोकतांत्रिक देश नवोन्मेष और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा दे सकें, ताकि ये रूस और चीन की प्रौद्योगिकी को पछाड़ सकें. 

रूस से रक्षा लेनदेन पर कार्रवाई का प्रावधान
वर्ष 2017 में पेश सीएएटीएसए के तहत रूस से रक्षा और खुफिया लेन-देन करने वाले किसी भी देश के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का प्रावधान है. इसे 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मॉस्को के कथित हस्तक्षेप के जवाब में लाया गया था.

चीन से मुकाबला करने के लिए भारत के साथ संबंधों को दे रहा मजबूती
रूस से एस 400 मिसाइल खरीदने पर भारत को प्रतिबंधों की धमकी देने वाले अमेरिका के रुख में परिवर्तन की वजह जानकार चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी को बता रहे हैं. जिस तरीके से दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक गतिविधियां चल रही हैं. कहा जा रहा है कि चीन अब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी का इस्तेमाल हिंद महासागर में करना चाह रहा है. इससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बिगड़ सकती है. 

वहीं, अगर चीन इस क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लेने में सफल हुआ तो इससे अमेरिकी साख को गहरा झटका लगेगा. भारत-अमेरिकी संबंध चीन की राह में रोड़ा बन सकते हैं इसीलिए अमेरिका प्रतिबंध लगाकर भारत को नाराज करने का जोखिम मोल नहीं ले सकता है.

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