नई दिल्ली.     स्थिति ऐसी शंकास्पद है कि अमेरिका में कुछ भी हो सकता है. डोनाल्ड ट्रम्प को लेकर अंदेशा होने लगा है कि शायद वे अमेरिका में नई सरकार का तख्तापलट कर देंगे. हालांकि जो बाइडेन ने इस पर कोई बयान नहीं दिया है वहीं दूसरी तरफ ट्रम्प ने हार नहीं मानने का ऐलान किया है. अभी राष्ट्र्पति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के आखिरी दो सप्ताह शेष हैं. ऐसे में जो होना है अगले दस पंद्रह दिनों में ही होना है. 


सेना में किये गए बदलाव 


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डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में सेना में त्वरित गति से अचानक कुछ ऐसे बदलाव किये हैं जो अकारण नहीं नज़र आते. ट्रंप ने पेंटागन में बदलाव करते हुए रक्षामंक्षी मार्क एस्पर को हटाया और फिर अपने तीन विश्वस्त अधिकारियों की अमेरिकी सेना में अहम पदों पर नियक्ति कर दी है. और ये बदलाव अमेरिका की सेना में ट्रम्प ने उस समय किये हैं जबकि अमेरिकी चुनावों के परिणाम आ गए हैं और नई सरकार बनने वाली है. 


ट्रम्प का ऐलान और चाभियां न देना 


चुनाव परिणाम आने के बाद और वोटों की गणना के आधार पर जो बाइडेन की स्पष्ट विजय के बाद भी डोनाल्ड ट्रम्प का पराजय स्वीकार न करना बताता है कि कहीं कुछ गड़बड़ है. यद्यपि ट्रम्प ने कहा है कि वे अदालत की शरण में जाएंगे और न्याय की मांग करेंगे क्योंकि उनको लगता है कि चुनाव में उनके साथ छल हुआ है. ट्रम्प प्रशासन ने नए राष्ट्रपति की टीम को भी न कार्यालय में कोई स्थान भी नहीं दिया है और साफ़ तौर पर चाभियां सौंपने से इंकार भी कर डाला है.


हथियारों की बढ़ी खरीद 


चुनाव के पहले तीन चार महीनों से अमेरिका में हथियारों की खरीद-बिक्री बढ़ गई थी. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था अतएव इस स्थिति को देखते हुए तरह तरह की आशंकाएं जताई जा रही थीं. इसका अर्थ ये भी हो सकता है कि ट्रम्प को अनुमान था कि वे जीत नहीं पाएंगे इसलिए उनके समर्थकों ने परिणाम आने के बाद अमेरिका में दंगों की स्थिति पैदा करने की तैयारी करनी चाही थी. इसलिए अभी भी आशंका है कि ट्रम्प के इशारे पर खून-खराबे की स्थिति पैदा हो सकती है अमेरिका में.


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चुनाव में वोटों की संख्या 


अमेरिकी चुनावों में विजेता का परिणाम इलेक्टोरल वोट्स गिन कर उनके आधार पर किया जाता है किन्तु कुल वोटों की संख्या देखें तो डोनाल्ड ट्रम्प को मिले वोटों की संख्या जो बाइडेन को मिले वोटों की संख्या से अधिक है.  वोटों की यह अधिक संख्या को देख कर डोनाल्ड ट्रम्प को लगता है कि अमेरिका के लोगों ने उनको ही राष्ट्रपति चुना है और नैतिक तौर पर उनको ही राष्ट्रपति बने रहने का अधिकार है.   


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ट्रम्प की टीम कर सकती है कोशिश 


अमेरिकी चुनावों के परिणाम को न स्वीकारने की ट्रम्प की जिद को उनकी टीम का समर्थन प्राप्त है. अब ये चिंता साफ़ नज़र आ रही है कि राष्‍ट्रपति ट्रंप और उनकी पार्टी के नेता सत्‍ता में बने रहने के लिए हर सम्भव प्रयत्न कर सकते हैं. पहले ही अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी बयान दे दिया है कि  -'ट्रंप प्रशासन के दूसरे कार्यकाल के लिए सत्‍ता का हस्‍तांतरण आसानी से होगा. इतना ही नहीं अटार्नी जनरल विलियम बार ने भी संघीय अभियोजकों से कह दिया है कि वे राष्ट्रपति चुनाव में हुई धांधली की जांच शुरू करें.


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