Adhbhut Himachal: चकनाचूर होने के बाद कैसे जुड़ जाता है शिवलिंग? रहस्यों से भरा मंदिर!
Adhbhut Himachal Ki Sair: मन में बात आती हैं भोलेनाथ की तो मंजिल नजर आती है बिजली महादेव की. भगवान भोलेनाथ मृत्युलोक के देवता है. तभी तो कहा जाता है कि कण-कण में शिव हैं. आज हम बात भोलेनाथ के ऐसे चमत्कारी मंदिर की करेंगे, जिसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है.
Adhbhut Himachal Ki Sair: अद्भुत हिमाचल की सैर में आज हम एक ऐसा रहस्य लेकर आए हैं. जो कि न सिर्फ विज्ञान को चुनौती देता हैं बल्कि आम लोगों को भी अचंभित कर देता हैं. हिमाचल में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां कोई न कोई चमत्कार होते रहते हैं. ऐसा ही एक मंदिर है बिजली महादेव का.
रहस्यों से भरा बिजली महादेव मंदिर...
भगवान शिव का यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है. शिवजी का यह अनोखा मंदिर व्यास और पार्वती नदी के संगम के पास ही एक पहाड़ पर बना हुआ है. कहा जाता है कि यहां 12 साल में आसमानी बिजली गिरती है और शिवलिंग पूरी तरह से चकनाचूर हो जाता है.
चकनाचूर शिवलिंग का रहस्य...
आसमानी बिजली गिरने के बाद जब शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है तो सवाल उठता है कि आखिर शिव भक्त वहां पर किसकी पूजा करते हैं?
चकनाचूर हुए शिवलिंग के टुकड़ों को पुजारी मक्खन से जोड़ते हैं, तो यह फिर से अपने पुराने स्वरूप में आ जाता है. मक्खन से जोड़कर दोबारा स्थापित किए जाने के कारण स्थानीय लोग इसे मक्खन महादेव के नाम से भी बुलाते हैं.
12 साल बाद क्यों गिरती है बिजली...
मान्यता है कि यहां पर कुलांत नाम का एक दैत्य रहता था. दैत्य कुल्लू के पास की नागणधार से अजगर का रूप धारण कर मंडी की घोग्घरधार से होता हुआ लाहौल स्पीति से मथाण गांव आ गया.
दैत्य रूपी अजगर कुण्डली मार कर ब्यास नदी के प्रवाह को रोक कर इस जगह को पानी में डुबोना चाहता था. काफी कोशिशों के बाद भगवान शिव ने उस राक्षस रूपी अजगर को अपने विश्वास में लिया.
शिव ने उसके कान में कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है. शिवजी की बात सुनते ही जैसे ही कुलांत पीछे मुड़ा तभी शिव ने कुलांत के सिर पर त्रिशूल वार कर दिया..शिव द्वारा वध करने के बाद कुलांतक का शरीर एक पहाड़ में परिवर्तित हो गया.
कुलान्त दैत्य को मारने के बाद शिव ने इंद्र से कहा कि वे बारह साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें.
आकाशीय बिजली शिवलिंग पर गिरने के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव नहीं चाहते चाहते थे कि जब बिजली गिरे तो जन धन को इससे नुकसान पहुंचे, ऐसे में इस बिजली को वे अपने ऊपर गिरवाते हैं.