पांवटा साहिब बेलगाम हुआ खनन माफिया, उफनती नदियों में हो रहा अवैध खनन
Himachal Pradesh News: पांवटा साहिब में लगातार बारिश के बावजूद दिन रात अवैध खनन का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. हैरानी की बात यह है कि जो लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं उन पर हमले करवा दिए जा रहे हैं.
ज्ञान प्रकाश/पांवटा साहिब: नदियां नाले उफान पर होने के बावजूद पांवटा साहिब में अवैध खनन का कारोबार दिन रात बेरोकटोक चल रहा है. यहां यमुना, बाता और गिरी नदी सहित दर्जनों नालों में सैंकड़ों ट्रैक्टर और मशीनें अवैध खुदाई के काम में लगी हैं. माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाने वालों पर हमले कर दिए जाते हैं.
पांवटा साहिब में खनन माफिया को न प्रशासन का डर है, ना कानून का डर है और ना ही प्रकृति का खौफ है. यहां माफिया उफनते नदियों नालों में भी अवैध खनन को बेरोकटोक अंजाम देने में लगा है. पांवटा साहिब के आसपास यमुना, गिरी और बाता नदियों सहित सभी नालों में जम कर अवैध खनन चल रहा है.
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बरसात में नदियों में आए सैलाब से भी माफिया को डर नहीं लगता है. यहां नदी नालों में प्रदेश हाई कोर्ट और सरकार के निर्देशों के सरे आम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. सैकड़ों ट्रक और ट्रैक्टर दिन रात अवैध खनन में लगे रहते हैं. नदियों से उठाया अधिकतर माल यहां स्थित दर्जनों क्रेशरों पर बेचा जाता है, जबकि कुछ खनिज बिल्डिंग मेटेरियल के तौर पर सप्लाई किया जाता है.
पांवटा साहिब में हिमाचल ही नहीं बल्कि उत्तराखंड और हरियाणा का खनन माफिया भी सक्रिय है. ऊंची पहुंच के चलते खनन माफिया पर हाथ डालने से सरकारी विभाग कतराते हैं. यही कारण है कि यहां खनन माफिया बेलगाम होता जा रहा है. खनन माफिया के हौसलों का उदाहरण पिछले दिनों देखने को मिला. बाता नदी के किनारे सक्रिय माफिया के कुछ लोगों ने एक रिटायर अध्यापक और वकील पर जानलेवा हमला कर दिया. इन लोगों पर माफिया हमला इसलिए हुआ, क्योंकि यह बार-बार बाता नदी में अवैध खनन की उच्च स्तर पर शिकायतें कर रहे थे.
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हालांकि पुलिस खनन और वन विभाग समय-समय पर माफिया पर कार्यवाही भी करता है, लेकिन यह कार्रवाई महज खानापूर्ति साबित हो रही है. हालत यह है कि क्षेत्र की नदियों नालों से हर रोज हजारों ट्रैक्टर खनिज अवैध तौर पर उठाया जाता है, जबकि दिन भर में कहीं इक्का-दुक्का ट्रैक्टरों के चालान होते हैं. पुलिस विभाग ने अवैध खनन पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरा से नजर रखने की योजना भी बनाई थी, लेकिन उसका भी असर नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में अवैध खनन पर सरकारी तंत्र कैसे लगाम लगाएगा यह सवाल जस का तस बना हुआ है.
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