International Malala Day 2023: क्यों मनाया जाता है ये दिन और कौन हैं मलाला? जानिए पूरी डिटेल
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International Malala Day 2023: क्यों मनाया जाता है ये दिन और कौन हैं मलाला? जानिए पूरी डिटेल

International Malala Day 2023: आज इंटरनेशनल मलाला डे है, और इस मौके पर हम आपको मलाला और इस दिन से जुड़ी जानकारी देने वाले हैं. कैसे मलाला ने तालिबान का सामना किया और महिलाओं के मुद्दे उठाती रहीं.

International Malala Day 2023: क्यों मनाया जाता है ये दिन और कौन हैं मलाला? जानिए पूरी डिटेल

International Malala Day 2023: 12 जुलाई को इंटरनेशनल मलाला डे मनाया जाता है. आखिर मलाला यूसुफजई कौन हैं और ये डे क्यों मनाया जाता है? इस आर्टिकल में हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देने वाले हैं. मलाला यूसुफजई को आज पूरी दुनिया जानती है, उनके कई ट्रस्ट हैं जो लड़कियों की पढ़ाई में मदद करते हैं. इस आर्टिकल में हम आपको मलाला से जुड़े सभी सवालों को जवाब देने वाले हैं. तो चलिए जानते हैं.

कौन हैं मलाला यूसुफजई?

मलाला यूसुफजई एक एजुकेशन एक्टिविस्ट हैं जिनका जन्म पाकिस्तान में 12 जुलाई 1997 में हुआ. उन्हें 17 साल की उम्र में नोबेल पीस प्राइज से भी नवाजा जा चुका है. वह पहली ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें इतनी कम उम्र में नोबेल प्राइज से नवाजा गया. मलाला महिलाओं की पढ़ाई और बच्चों से जुड़े सामाजिक मुद्दों पर काम करती है.

मलाला यूसुफजई का परिवार (Malala Yousafzai Family)

मलाला का जन्म पाकिस्तान के स्वात जिले में एक लोवर मिडिल क्लास परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम जियाउद्दीन और माता का नाम तूर पेकई था. जब मलाला पैदा होने वाली थीं तो परिवार के पास इतना पैसा नहीं था कि उनकी वालिदा (माता) को अस्पताल ले जाएं. जिसकी वजह से उनका जन्म घर में ही हुआ.

पाकिस्तानी तालिबान का अत्याचार

पाकिस्तान के दौर में जन्मी मलाला को उस दौर का भी सामना करना पड़ा जब तालिबान ने लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंदी लगा दी थी. आदेश जारी हुआ कि 15 जनवरी 2009 के बाद कोई भी लड़की स्कूल नहीं जाएगी. लड़कियों को रोकने के लिए तालिबान ने 100 स्कूलों को बम से भी उड़ा दिया. हालांकि बाद में तालिबान ने बुर्का पहनने की शर्त को मान कर स्कूलों को खोल दिया.

मलाला अपने पिता से काफी प्रभावित थीं. उन्होंने बचपन से ही फैसला कर लिया था कि वह एक नेता बनेंगी और समाज की भलाई के लिए काम करेंगी. मलाला के पिता पाकिस्तानी तालिबान की लगातार आलोचना करते थे. जिसके चलते उन्हें रेडियो पर धमकी भी मिल चुकी थी. इसके बावजूद मलाला ने सोशल एक्टिविस्ट बनने का फैसला किया.

शुरुआत से ही काफी एक्टिव थीं मलाला

मलाला कम उम्र से ही लगातार बीबीसी में ब्लॉग लिखती आई थीं. 2009 में उनकी इस पहचान से पर्दा उठ गया और वह टीवी पर महिलाओं की पढ़ाई के बारे में खुलकर बात करने लगीं. 2009 से 2010 तक वह डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड असेंबली की चेयरपर्सन रहीं.

2011 में मिली ट्रेनिंग

मलाला यूसुफजई और कई और स्थानीय लड़कियों को गुलालाए इस्माइल नाम की एक सोशल एक्टिविस्ट के जरिए ट्रेनिंग दी गई. जिसमें महिलाओं के अधिकार, पढ़ाई की अहमियत और कट्टरता जुड़े मुद्दों को बताया गया. मलाला की बढ़ती मकबूलियत से काफी लोग परेशान थे. उन्हें जान से मारने की धमकी मिलनी शुरू हो गईं. एक अखबार में उन्हें खुले तौर पर धमकी दी गई थी. इसके अलावा उनके फेसबुक अकाउंट पर भी धमकियां आने लगीं. टीवी पर खुलेआम पाकिस्तानी तालिबान ने उनको हमला करने वाली बात को कुबूल किया. इसके बावजूद मलाला नहीं रुकीं और महिलाओं के लिए आवाज उठाती रहीं.

9 अक्टूबर 2012 को चली गोली

9 अक्टूबर 2012, दिन मंगलवार का था और मलाला स्वात वैली में एग्जाम के लिए बस लेने के लिए स्टेशन पर खड़ी थीं. इसी दौरान एक तालिबानी बंदूकधारी ने उन्हें गोली मार दी. उस वक्त मलाला केवल 15 साल की थीं. गोली चलाने वाले शख्स ने चेहरे पर मास्क पहना था और वह जोर से चिल्लाया- "तुम में से मलाला कौन है, बता दो वरना सभी को गोली मार दूंगा." पहचाने जाने के बाद हमलावर ने गोली चला दी. मलाला को एक गोली लगी और वह नीचे गिर गईं. मलाला के सिर में लगी थी, जिसके बाद उन्हें एयरलिफ्ट कर अस्पताल ले जाया गया

डॉक्टर्स ने खड़े कर दिए हाथ

गोली लगने के बाद मलाला को पेशावर के एक अस्पताल में ले जाया गया. जहां डॉक्टर्स ने एग्जामिन के बाद बताया कि उनके दिमाग में सूजन है, और वह यह सर्जरी नहीं कर पाएंगे. आग्रह करने के बाद डॉक्टर्स ने सर्जरी करने का फैसला लिया.  5 घंटे चले ऑपरेशन के बाद गोली निकाली गई. सूजन बढ़ने के कारण मलाला की खोपड़ी के एक हिस्से को भी हटाना पड़ा.

इस हमले का ऐसा रिएक्शन हुआ कि पूरी दुनिया का मीडिया मलाला की बात करने लगी. लोगों के बीच इस हमले को लेकर नाराजगी और दुख था. पाकिस्तानी अधिारियों ने हमलावर को पकड़ने केलिए 10 मिलियन रुपयों का ऐलान किया. मलाला के पिता ने अपने एक बयान में कहा कि हम ये देश छोड़ देंगे.

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