मुल्क के दीगर शोबों में मक़बूलियत हासिल कर चुके नामवर शख़्यियात की ज़िंदगी के उन क़िस्सों से जो या तो पोशीदा रहे या जिनके बारे में ज्यादा तफ़सीलात लोगों को नहीं मालूम
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नई दिल्ली/मुमताज़ ख़ान : क़िस्सा-ए-मुख़्तसर की अपनी इस बेहद ख़ास पेशकश में हम आपको रु-ब-रु कराएंगे मुल्क के दीगर शोबों में मक़बूलियत हासिल कर चुके नामवर शख़्यियात की ज़िंदगी के उन क़िस्सों से जो या तो पोशीदा रहे या जिनके बारे में ज्यादा तफ़सीलात लोगों को नहीं मालूम...और इन शख़्सियात के ये मुख़्तसर से क़िस्से ख़ुशी,गम,रुहानियत,रोमांस,मिलन,जुदाई,बर्बादी,आबादी,मक़बूलियत और गुमनामी...ज़िंदगी के बेशुमार हक़ीक़ी रंगो से लबरेज़ होंगे.आज अपनी इस ख़ुसूसी पेशकश में हम आपको बताएंगे 50 साल से ज्यादा तक इंडस्ट्री में जमे रहे शानदार अदाकार और जानदार विलेन प्रेम चोपड़ा का क़िस्सा-ए-मुख़्तसर..
प्रेम चोपड़ा ने 320 के आसपास फिल में काम किया और ज़्यादातर फिल्मों में उन्होंने विलेन का किरदार बने रहे...बंटवारे के बाद उनके वालिदैन शिमला आ गए...वालिद की सरकारी नौकरी थी...इसलिए शुरुआती तालीम वहीं हुई...प्रेम चोपड़ा के वालिद को लगता था कि उनका बेटा या तो डॉक्टर बनेगा या IAS अफसर.... लेकिन पंजाब यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन के दौरान प्रों साहब को एक्टिंग का चस्का लगाऔर तालीम पूरी करके वो मुंबई चले गए.
मुंबई में उनका स्ट्रगल बहुत लंबा चला...अपना पोर्टफोलियो बना कर टहलते रहे... कुछ पंजाबी और हिंदी फिल्मों में काम भी किया लेकिन खर्चा चल नहीं रहा था लिहाज़ा टाइम्स ऑफ इंडिया के सर्कुलेशन डिपार्टमेंट में जॉब करते रहे.
चोपड़ा साहब की पहली हिट फिल्म थी ‘वो कौन थी.’ रोल बहुत बड़ा नहीं था उसमें लेकिन तारीफ बहुत हुई. वहीं से उनकी क़िस्मत चमकना शुरु हो गई..नौकरी भी चल रही थी लेकिन अब इसमें बड़ी तकलीफ होने लगी थी. रोज रोज छुट्टी लेकर शूट नहीं कर सकते थे...बहाने कम पड़ने लगे थे और रोज फटकार पड़ती थी...उधर फिल्मों के ऑफर धड़ाधड़ आते जा रहे थे और आख़िरकार 'उपकार' फिल्म करने के बाद उन्होने नौकरी छोड़ दी.
चोपड़ा साहब ने कुछ फिल्में बतौर हीरो भी कीं लेकिन वो फ्लॉप हो गईं...फिर इनको ''मदर इंडिया'' बनाने वाले महबूब खान ने विलेन का रोल करने का मशविरा दिया...सलाह जिंदगी में उतारी तो कामयाब हो गए...और प्रेम चोपड़ा उस जमाने की हीरो तिकड़ी देवानंद-दिलीप कुमार-राजकपूर के फेवरेट विलेन बन गए...वहीं मनोज कुमार से उनकी दोस्ती बहुत गहरी हो गई...उसके बाद तो इनके भाव एकदम बढ़ गए....कहते थे कि हमको भी हीरो के बराबर क़ीमत मिलनी चाहिए...पूरे एक लाख रुपये...चोपड़ा साहब को पहली फिल्म के लिए ढाई हज़ार रुपय मिले थे और शुरुआत में उन्होने वैसलीन हेयर क्रीम का ऐड भी किया था.
प्रेम चोपड़ा साहब इसलिए भी बेहद ख़ुशक़िस्मत रहे कि इंडस्ट्री में जमने के लिए उनके टैलेंट के साथ रिश्तों ने साथ दिया...दरअसल इनकी अहलिया के भाई थे पुराने जमाने के लेजेंडरी एक्टर प्रेम नाथ और इनके साढ़ू भाई थे राज कपूर...राज कपूर ने इनको अपनी फिल्म ''बाबू'' में कास्ट किया..इसी फ़िल्म में इनकी पूरी जिंदगी की कमाई है वो डायलॉग- प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा.