टाइप 1 और टाइप 2 के बाद अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बना टाइप 1.5 डायबिटीज़, जानें क्या हैं इसके लक्षण!
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टाइप 1 और टाइप 2 के बाद अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बना टाइप 1.5 डायबिटीज़, जानें क्या हैं इसके लक्षण!

 Type 1.5 Diabetes:  डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हमारे शरीर में मौजूद खून में ग्लूकोज का लेवल सामान्य से ज्यादा हो जाता है. वैसे तो डायबिटीज़ के 10 से ज्यादा टाइप है. लेकिन लोगों को सिर्फ टाइप 1 और टाइप 2 के बारे में ही जानकारी है. 

टाइप 1 और टाइप 2 के बाद अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बना टाइप 1.5 डायबिटीज़, जानें क्या हैं इसके लक्षण!

What is Type 1.5 Diabetes: फेमस अमेरिकी पॉप बैंड NSYNC में अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस के लिए मशहूर लांस बास ने हाल ही में इस बात की जानकारी दी है कि उन्हें टाइप 1.5 मधुमेह है. इस बात की जानकारी पाकर लोग काफी हैरान हुए क्योंकि ज्यादातर लोगों को टाइप 1 और टाइप 2 के बारे में ही जानकारी है. ऐसे में लांस बास की टाइप 1.5 की बात सुनकर सभी सोच में पड़ गए हैं कि आखिर इस टाइप के क्या लक्षण हैं. डॉक्टरों के मुताबिक टाइप 1.5 में टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह दोनों के लक्षण होते हैं. 

डायबिटीज़ के टाइप:-
डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हमारे शरीर में मौजूद खून में ग्लूकोज का लेवल सामान्य से ज्यादा हो जाता है. वैसे तो डायबिटीज़ के 10 से ज्यादा टाइप है. लेकिन लोगों को सिर्फ टाइप 1 और टाइप 2 के बारे में ही जानकारी है. 

टाइप 1 डायबिटीज़ Autoimmune conditions है, जहां मरीज के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली Pancreas में उन कोशिकाओं पर हमला करके उन्हें बर्बाद कर देती है, जो हार्मोन इंसुलिन बनाती हैं. इस टाइप में शरीर में काफी कम या बिल्कुल भी इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता है. इंसुलिन हमारे शरीर में मौजूद खून से ग्लूकोज को हमारी कोशिकाओं में ऊर्जा के लिए उपयोग करने के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसलिए टाइप 1 के मरीज को रोजाना  इंसुलिन दवा की जरूरत पड़ती है. टाइप 1 डायबिटीज़ आमतौर पर बच्चों या युवा में दिखाई देता है. 

टाइप 2 डायबिटीज़ एक Autoimmune conditions नहीं है. यह आपके शरीर में तब होता है, जब शरीर की कोशिकाएँ समय के साथ इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाती हैं, और Pancreas इस प्रतिरोध को दूर करने के लिए जरूरी इंसुलिन बनाने में सक्षम नहीं होता है. टाइप 2 मधुमेह वाले लोग टाइप 1 की अपेक्षा ज्यादा इंसुलिन का उत्पादन करते हैं. टाइप 2 बुजुर्गों में ज्यादा होता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में ये बच्चों और युवाओं में तेजी से देखा जा रहा है. 

कैसे टाइप 1.5 बाकी दोनों टाइप से अलग है:-
टाइप 1.5 किसी शख्स को तब होता है. जब प्रतिरक्षा प्रणाली इंसुलिन बनाने वाली Pancreas कोशिकाओं पर हमला करती है, लेकिन टाइप 1.5 वाले मरीजों को तुरंत इंसुलिन की ज़रूरत नहीं होती है. क्योंकि उनके शरीर में धीरे-धीरे इंसुलिन बनना बंद होता है. टाइप 1.5 डायबिटीज़ वाले लोगों को कम से कम 5 सालों तक इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं पड़ती है. ये टाइप 30 साल से अधिक उम्र के लोगों में देखने को मिल रहा है. टाइप 1.5 डायबिटीज़ के कारण में भी लोगों की जीवनशैली शामिल है. अधिक वजन होना, बाहर का खाना, दूषित वातावरण जैसे रोजाना की एक्टिविटी. 

टाइप 1.5 के लक्षण:-
ज्यादा प्यास लगना 
बार-बार पेशाब आना
थकान
नजर कम आना 
अनजाने में वजन कम होना

टाइप 1.5 डायबिटीज़ का इलाज शुरू में खून में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को कंट्रोल करने के लिए नार्मल दवाओं से किया जाता है. उनके ग्लूकोज कंट्रोल और उनके द्वारा इस्तेमाल की जा रही दवाओं के आधार पर, टाइप 1.5 डायबिटीज़ वाले लोगों को पूरे दिन नियमित रूप से अपने खून में मौजूद ग्लूकोज के स्तर की निगरानी करने की जरूरत हो सकती है. जब दवाओं से डायबिटीज़ कंट्रोल नहीं होता है, तब मरीज को इंसुलिन दिया जाता है. 

इन सभी जानकारी को बेसिक मरीजों के आधार पर साझा किया गया है, आप इसपर अमल करने से पहले अपने डॉक्टरों से पूरी तरह से सलाह ले लें...!

 

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