Waqf Borad में नहीं शामिल हो सकते ये मुस्लिम समुदाय; `ऑल इंडिया कौमी तंजीम` ने जताई आपत्ति
Waqf Amendment Bill: लोकसभा सदस्य तारिक अनवर की अगुवाई वाली `ऑल इंडिया कौमी तंजीम` ने कहा है कि वक्फ बोर्ड में संशोधन के जरिए आगा खानी और बोहरा समुदाय के लोग शामिल नहीं हो सकते हैं. उनका कहना है कि ये शिया समुदाय के लोग हैं और उनका अलग वक्फ बोर्ड है.
Waqf Amendment Bill: लोकसभा सदस्य तारिक अनवर की अगुवाई वाली 'ऑल इंडिया कौमी तंजीम' ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सामने आपत्ति जताई और कहा कि विधेयक का मकसद वक्फ बोर्डों को कमजोर करना और मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में दखल देना है. तंजीम (संगठन) ने विधेयक को लेकर 20 प्वाइंट में अपनी आपत्तियां और सुझाव जेपीसी को दिए हैं, जिनमें दावा किया गया है कि यह (विधेयक) संपत्तियों के प्रभावी तरीके से प्रबंधन की वक्फ बोर्डों की क्षमताओं को कमजोर करेगा. साथ ही वक्फ के लाभार्थियों जैसे गरीबों, विधवाओं एवं अनाथों पर प्रतिकूल असर डालेगा. उनकी आपत्ति इस बात पर भी है कि सुन्नी वक्फ बोर्डों में आगा खानी और बोहरा समुदायों के लोग शामिल नहीं हो सकते हैं.
शिया नहीं सकते शामिल
'ऑल इंडिया कौमी तंजीम' का कहना है कि इसमें हिंदू बंदोबस्ती अधिनियम के तहत स्थापित तिरुमाला तिरुपति देवास्थानम का हवाला दिया गया है. साथ में हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती अधिनियम का भी हवाला दिया गया है. इसमें सुन्नी वक्फ बोर्डों में आगा खानी और बोहरा समुदायों के प्रतिनिधित्व पर भी आपत्ति जताई गई है, क्योंकि यह शिया पंथ हैं और उनके अपने अलग वक्फ बोर्ड हैं. आपत्तियों में कहा गया है कि इनको शामिल करना मुस्लिम समुदाय में और विभाजन पैदा करने के समान है.
वक्फ बोर्ड की आजादी खत्म
संगठन की तरफ से जेपीसी को भेजी आपत्तियों में कहा गया है कि 'कलेक्टर राज' को लाने से वक्फ बोर्डों की आजादी खत्म होगी. होगी और वक्फ अधिकरण के अधिकार खत्म हो जाएंगे. उसमें कहा गया है कि किसी अनिश्चितता की स्थिति में इलाके का कलेक्टर संपत्ति के मालिकाना हक पर फैसला करेगा, तो इससे वक्फ अधिकरण का मकसद नाकाम हो जाएगा जो मूल 1995 के अधिनियम के खिलाफ है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के भी खिलाफ है कि एक बार वक्फ हो जाने के बाद वह वक्फ ही रहता है.
वक्फ में गैर मुस्लिम
दस्तावेज़ के मुताबिक, विधेयक में केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने के प्रस्ताव को संविधान में अल्पसंख्यकों को दिए गए स्वतंत्रता एवं उनके धार्मिक मामलों में गैर हस्तक्षेप के अधिकार का उल्लंघन बताया गया है. उसमें कहा गया है कि जब मुस्लिमों को मंदिरों, गुरुद्वारों और दूसरे धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन निकायों में शामिल होने की इजाजत नहीं है, तो गैर मुस्लिमों का वक्फ बोर्ड में शामिल होने का भी कोई मतलब नहीं है.
भाजपा का गलत इरादा
उसके मुताबिक, वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ व्यवस्था को कमजोर करना है जिसका वक्फ के लाभार्थियों जैसे विधवाओं, गरीब, अनाथों के साथ-साथ मस्जिदों, कब्रिस्तानों दरगाहों, करबालों आदि के रखरखाव पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. इसमें इल्जाम लगाया गया है कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने 'गलत मंशा' से विधेयक पेश किया है, ताकि वक्फ की भूमि को हड़पा जा सके.