Badruddin Ajmal On New Parliament: वक्फ (अमेंडमेंट) बिल पर ढुबरी से पूर्व सांसद बदरुद्दीन अजमल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा नई संसद और एयरपोर्ट वक्फ की संपत्ति पर बने हैं. पूर्व सांसद के इस बयान से सियासत गरमा गई है.
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Badruddin Ajmal On New Parliament: वक्फ (अमेंडमेंट) बिल पर संयुक्त संसदीय समिति में मंथन चल रहा है. भाजापा के सीनियर नेता व लोकसभा सदस्य की अगुआई वाली जेपीसी में इस मामले को लेकर अभी तक सात बैठकें हो चुकी हैं. इस बीच एआईयूडीएफ चीफ बदरुद्दीन अजमल नई संसद को लेकर बड़ा बयान दिया है, जिससे देश की सियासत गरमा गई है. दरअसल, पूर्व सांसद बदरुद्दीन ने कहा है कि नई संसद वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी है. वक्फ प्रॉपर्टी की लिस्ट सामने आई है.
उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि न्यू पार्लियामेंट बिल्डिंग और इसके आसपास के इलाके, वसंत विहार से लेकर एयरपोर्ट तक वक्फ प्रोपर्टी पर बने हैं. सत्तारूढ़ बीजेपी सही नहीं कर रही है. वक्फ बोर्ड मुद्दे पर ये बहुत जल्द अपना कैबिनेट खो देंगे.
#WATCH | Guwahati, Assam: On JPC on Waqf Bill, AIUDF Chief Badruddin Ajmal says, "...There are voices and a list of Waqf properties across the world is out - the Parliament building, surrounding areas, areas around Vasant Vihar up to the airport have been built on Waqf property.… pic.twitter.com/sh0T1Tx6Nw
— ANI (@ANI) October 16, 2024
'मोदी-शाह का लक्ष्य इस्लाम मानने वाले लोगों को तकलीफ पहुंचाना है'
इतना ही नहीं बदरुद्दीन ने बीजेपी सरकार पर अनुच्धेद-370 और तीन तलाक को लेकर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने आर्टिकल 370 और ट्रिपल तलाक को खत्म कर दिया और अब वक्फ बोर्ड को नुकसान पहुंचाना चाहती है. बीजेपी का हदफ इस्लाम मानने वाले लोगों को तकलीफ पहुंचाना है, जो पीएम मोदी और अमित शाह का भी लक्ष्य है.
पूर्व लोकसभा सदस्य ने कहा कि इस बार बेजीप ने सबसे खतरनाक काम किया है. हमारे बाप-दादा और पुरखों की जमीन को सरकार हड़पना चाहती है. मौजूदा सरकार चाहती है कि पूरे भारत से मुसलमानों का नामो-निशान खत्म हो जाए. लेकिन भारत की 18-20 फीसदी मुस्लिम को यहां से निकालना आसान नहीं है.
विपक्ष के सांसदों ने लगाया ये आरोप
बता दें, वक्फ (अमेंडमेंट) बिल पर जेपीसी चल रही है. इस मामले को लेकर एक दिन पहले यानी मंगलवार को ही विपक्ष के कई सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक लेटर भी लिखा था. इसमें इल्जाम लगाया था बिल पर विचार कर रही JPC की बैठकों में संसदीय आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है.