Jamia News: केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक, किसी कर्मचारी को कार्यकाल का कार्यकाल खत्म होने की तारीख से एक महीने के भीतर आधिकारिक आवास खाली करना होता है, लेकिन जामिया की पूर्व पूर्व वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने सरकारी बंगला खाली नहीं किया है.
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Jamia News: जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पूर्व वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने सरकारी बंगला खाली करने के लिए वक्त मांगा है और कहा है कि उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए वक्त चाहिए. यूनिवर्सिटी के एक सीनियर अधिकारी ने आज यानी 27 जनवरी को यह जानकारी दी. अख्तर की गुजारिश रजिस्ट्रार कार्यालय में एक महीने से ज्यादा समय से लंबित है, जिस पर यूनिवर्सिटी ने अभी तक जवाब नहीं दिया है.
नाम गुप्त रखने की शर्त पर न्यूज एजेंसी PTI भाषा से बात करने वाले अधिकारी ने बताया, ‘‘पूर्व कुलपति नजमा अख्तर ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को एक पत्र लिखकर गुजारिश की कि जब तक वह वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर लेतीं, तब तक कुलपति सरकारी बंगले में उनके रहने की अवधि बढ़ा दी जाए."
केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक, किसी कर्मचारी को कार्यकाल का कार्यकाल खत्म होने की तारीख से एक महीने के भीतर आधिकारिक आवास खाली करना होता है. अख्तर का कार्यकाल पिछले साल 12 नवंबर को खत्म हो गया था. पूछे जाने पर अख्तर ने कहा कि उन्हें विश्वविद्यालय से बंगला खाली करने के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है.
जामिया प्रसाशन पर नजमा ने लगाए गंभीर इल्जाम
नजमा अख्तर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, "मैंने अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही यूनिवर्सिटी को बंगले में रहने का वक्त बढ़ाने के लिए पत्र लिखा था. मुझे आज तक, पत्र का कोई जवाब नहीं मिला है." अख्तर ने यह भी कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अभी तक उनकी 9 लाख रुपये की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है (इसमें वेतन के रूप में बकाया 1 लाख रुपये और अर्जित छुट्टियों के लिए 8 लाख रुपये शामिल हैं). उन्होंने कहा, "जामिया ने बिना वजह बताए मेरी 9 लाख रुपये तक की बकाया राशि रोक ली है. जामिया के इतिहास में किसी निवर्तमान वाइस चांसलर के साथ कभी भी ऐसा व्यवहार नहीं किया गया."