Muslim Voters: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे, जबकि तीन दिसंबर को मतगणना होगी. राज्य की 47 असेंबली सीटों पर मुस्लिम वोटर्स काफी अहम माने जा रहे हैं. 22 इलाक़ों में वे निर्णायक साबित हो सकते हैं.
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MP Assembly Election 2023: बीजेपी और कांग्रेस की द्विदलीय सियासत में मुस्लिम वोट भले ही यूपी और बिहार जितनी अहमियत नहीं रखते, लेकिन अगले महीने होने वाले एमपी असेंबली इलेक्शन में कांटे की टक्कर होने की स्थिति में कम से कम 22 सीटों पर अल्पसंख्यक समुदाय के वोट अहम साबित हो सकते हैं . कांग्रेस से संबंध रखने वाली मध्यप्रदेश मुस्लिम विकास परिषद के को-ऑर्डिनेटर मोहम्मद माहिर ने कहा कि 2018 के असेंबली इलेक्शन में उनकी पार्टी का वोट फीसद कम से कम तीन से चार परसेंट बढ़ा, जिसकी वजह से वह बीजेपी से थोड़ा आगे निकल गई.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मध्य प्रदेश यूनिट के चीफ कमलनाथ ने 2018 में कहा था कि अगर 90 फीसद अल्पसंख्यक वोट पार्टी के हक में आते हैं तो पार्टी सरकार बना सकती है. माहिर ने कहा, कमलनाथ की अपील पर अल्पसंख्यकों के वोट कांग्रेस को मिले और इसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी की झोली में 10-12 सीट और जुड़ गईं, जिन्हें पार्टी 2008 और 2013 में जीतने में नाकाम रही थी. पूर्ववर्ती चुनाव में बीजेपी का वोट फीसद (41.02) कांग्रेस के (40.89) फीसद से थोड़ा ज्यादा रहा था, लेकिन कांग्रेस 230 सीट में 114 सीट पर जीत हासिल करके सबसे ज्यादा सीट हासिल करने वाली पार्टी बनी थी, जबकि बीजेपी को 109 सीट मिली थीं.
इसके बाद कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आजाद विधायकों की हिमायत से सरकार बनाई थी, लेकिन कुछ विधायकों के पार्टी बदलने की वजह से 15 महीने बाद यह सरकार गिर गई थी. माहिर ने न्यूज एजेंसी को बताया कि एमपी में जब वोटर्स बीजेपी से नाराज होते हैं, तो वे कांग्रेस सरकार का सेलेक्शन करते हैं और इसी तरह कांग्रेस से वोटर्स खफा होने पर बीजेपी की सरकार बनती है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, मध्य प्रदेश में मुस्लिम आबादी सात फीसद है जो अब संभवत: 9 से 10 फीसद तक होनी चाहिए.
47 असेंबली सीटों पर मुस्लिम वोट काफी अहम हैं. लेकिन, 22 इलाक़ों में वे निर्णायक साबित हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि इन 47 सीट पर मुस्लिम वोटर्स की तादाद 5,000 से 15,000 के बीच हैं, जबकि 22 असेंबली इलाक़ों में इनकी तादाद 15,000 से 35,000 के बीच है. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि बराबर के मुकाबले की हालत में 22 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स किसी भी पार्टी का भविष्य तय कर सकते हैं. इन सीट में भोपाल की तीन, इंदौर की दो, बुरहानपुर, जावरा और जबलपुर समेत अन्य इलाकों की सीटें शामिल हैं.
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