Jammu and Kashmir News: जम्मू व कश्मीर में दशहरा मनाने का प्रोग्राम काफी जोरों से चल रहा है. ऐसे में यहां दहन के लिए पुतले बनाए गए हैं. यहां मुस्लिम कारीगरों ने रावण के पुतले बनाकर भाईचारे की मिसाल पेश की है.
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Jammu and Kashmir News: पूरे देश में दशहरे की धूम है. ऐसे में कई जगह पर रावण कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाए जा रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में भी पुतले बनाए गए हैं. यहां जो पुतले बनाए गए हैं. उन्हें मुस्लिम कारीगरों ने बनाया है. जम्मी व कश्मीर में 'श्री सनातन धर्म सभा' की तरफ से रावण दहन के लिए रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाकर तैयार हैं. लगभग 40 कारीगरो ने इस काम को अंजाम दिय है. उनकी कड़ी मेहनत ने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल पेश की है.
मुस्लिम बनाते हैं पुतले
इन पुतलों को बनाने के काम में मुस्लिम कारीगर मोहम्मद गयासुद्दीन भी शामिल रहे हैं. मोहम्मद गयासुद्दीन ने कहा कि वह 1985 से यह काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हमें बुलाने वाली सभा श्री सनातन धर्म सभा गीता भवन जम्मू है. इन्हीं की तरफ से यह काम होता है." उन्होंने आगे कहा कि "हम रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद के पुतले बनाते हैं. सबसे बड़ा दशहरा उत्सव जम्मू के परेड ग्राउंड में आयोजित किया जाता है."
हिंदू मुस्लिम भाईचारा
ये मुस्लिम कारीगर जो पुतले बनाते हैं वह श्रीनगर, राजौरी और मकामों पर भेजे जाते हैं. इनके बनाए पुतले इलाके के अलग-अलग हिस्सों में जहां-जहां दशहरा का त्योहार मनाया जाता है, वहां जलाए जाते हैं. इसके जरिए हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का पैगाम जाता है. मोहम्मद गयासुद्दीन के मुताबिक हिंदू कारीगर के साथ मुस्लिम कारीगर भी काम करते हैं.
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40 कारीगर करते हैं काम
पुतले बनाने वाले दूसरे कारीगर मोहम्मद रिहान ने कहा कि इस बार 15-20 ऑर्डर हैं और करीब-करीब सभी तैयार हैं. अगर कोई और ऑर्डर मिलता है, तो हम बनाने के लिए तैयार हैं. किसी साल ऑर्डर ज्यादा मिल जाते हैं, तो किसी साल कम मिलते हैं. जो हम पुतला बनाते हैं, वे राजौरी, सुंदरमणि नौशेरा, उधमपुर, गांधीनगर तक जाते हैं. हमारे साथ 45 लोग काम करते हैं. हम 40 साल से यह काम कर रहे हैं. जनता के बढ़ने के साथ-साथ काम भी हम लोगों का बढ़ रहा है. पहले और आज के दशहरे में बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है.
कोरोना में हुई थी दिक्कत
एक दूसरे कारीगर मोहम्मद कय्यूम का कहना है कि वह 1998 से यहां काम कर रहे हैं. पहले उनके पिता जी यहां पर काम करते थे. उन्होंने कहा, "हम लोग पीढ़ी दर पीढ़ी इस काम को कर रहे हैं. हम लोगों को सनातन सभा की ओर से बुलाया जाता है. इस बार करीब 50 ऑर्डर मिले हैं. कोरोना काल में हम लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था."