Afghanistan: अफगानिस्तान गरीबी से जूझ रहा है, लेकिन उसकी करेंसी मजबूत होती जा रही है. आखिर ऐसा क्यों है? आइये जानते हैं पूरी डिटेल
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Afghanistan: अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद हालात बदल रहे हैं. महिलाओं पर बंदिशों और कई तरह के कारोबारों पर रोक लगने के बाद देश में गरीबी बढ़ती जा रही है, लेकिन इसके बावजूद भी अफगानिस्तान की करेंसी मजबूत हो रही है. इसके पीछे क्या कारण हैं और ऐसा क्यों हो रहा है? आइये जानते हैं.
तालिबान अपने खराब शासन की वजह से लगातार आलोचनाओं का शिकार होता है, लेकिन अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था कमाल कर रही है. इस तिमाही में अफगानिस्तान की करेंसी अफगानी ग्लोबल रैंकिंग में टॉप पर रही है. 2021 में तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गया था. इसके बाद से लगातार मुल्क में गरीबी ने पैर पसारा है, लेकिन यहां की करेंसी डॉलर के मुकाबले अब लगातार बढ़ रही है.
एक्सपर्ट्स की मानें तो अफगानिस्तान की करेंसी मजबूत होने के पीछे कई वजह हैं. अफगानिस्तान ने लोकल ट्रांजेक्शन में डॉलर और पाकिस्तानी रुपये पर बैन आयद किया है, जिसकी वजह से देश की मुद्रा पर काफी असर पड़ा है. इसके अलावा अफगानिस्तान में ऑनलाइन ट्रेडिंग पर पूरी तरह से बैन लगाया हुआ है, अगर इसका कोई उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है. इसके अलावा मुद्रा पर कंट्रोल, कैश फ्लो को बढ़ाने से भी अफगानिस्तान की मुद्रा पर असर पड़ा है.
इन सभी फैसलों के बाद अफगानिस्तान की करेंसी इस तिमाही में 9 फीसद मजबूत हो गई है. इस साल अफगानिस्तान की करेंसी कुल 14 फीसद मजबूत हुई है. फिलहाल अफगानिस्तान की मुद्रा लोकंबिया और श्रीलंका के बाद तीसरे नंबर पर है.
देश इस वक्त काफी गुरबत से जूझ रहा है. 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान को यूएन 5.8 अरब डॉलर की मदद कर चुका है. तालिबान शासन लगातार ह्यूमन राइट के निशाने पर रहता है. मुल्क में महिलाओं के पढ़ने की आजादी से लेकर उनके पहनावों पर भी तरह-तरह की रोक हैं.