Yemen New Prime Minister: यमन की सरकार ने अपने नए फैसले के तहत अहमद अवद बिन मुबारक को प्रधानमंत्री चुना है. वह हूती विरोधी हैं. साल 2015 में उन्हें हूतियों ने किडनैप कर लिया था.
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Yemen New Prime Minister: यमन की सरकार ने विदेश मंत्री अहमद अवद बिन मुबारक को नया प्रधानमंत्री नामित किया है. हूती विद्रोहियों की तरफ से लाल सागर में जहाजों पर हमलों के बाद अरब प्रायद्वीप के सबसे गरीब देश में बढ़ते तनाव के वक्त बिन मुबारक ने माईन अब्दुलमलिक सईद की जगह ली है. यमन के राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद की तरफ से सोमवार को जारी एक डिक्री ने बिन मुबारक की प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति की घोषणा की. यमन सरकार ने निवर्तमान प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति सलाहकार के पद पर नियुक्त किया.
किडनैप हुए थे अहमद अवद बिन मुबारक
यमन ने अपने नए कदम की कोई वजह नहीं बताई है. अमेरिका में यमन के पूर्व राजदूत बिन मुबारक को हूती विद्रोहियों के कट्टर विरोधी के रूप में देखा जाता है. साल 2015 में हूतियों ने उन्हें किडनैप कर लिया था. उस वक्त वह तत्कालीन राष्ट्रपति अब्द-रब्बू मंसूर हादी के साथ सत्ता संघर्ष के दौरान यमन के राष्ट्रपति चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में काम कर रहे थे. बिन मुबारक के किडनैप होने के बाद यमन में राजनीतिक संकट हो गया. इसके नतीजे में हूती और हादी के राष्ट्रपति गार्डों के बीच झड़पें हुईं, जिससे राष्ट्रपति और सरकार को इस्तीफा देना पड़ा.
हूती के खिलाफ अहमद अवद बिन मुबारक
बिन मुबारक को साल 2018 में संयुक्त राष्ट्र में देश के दूत के रूप में भी नियुक्त किया गया था. अमेरिका में मौजूद नवंती अनुसंधान समूह के यमन विशेषज्ञ मोहम्मद अल-बाशा ने कहा कि बिन मुबारक को "सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन के वास्तुकारों" में से एक के रूप में देखा जाता है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार का समर्थन करने के लिए 2015 में हूतियों के खिलाफ हस्तक्षेप किया था. अल-बाशा ने कहा, "हूती बिन मुबारक की नियुक्ति को स्वीकार नहीं करेंगे." इसकी वजह है कि वह हूती के विरोधी हैं. अल-बाशा ने कहा, "उनकी नियुक्ति से हूती और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है."
लाल सागर में हूतियों के हमले
ईरान समर्थित समूह हूती, महीनों से लाल सागर के नौवहन को निशाना बना रहे हैं, इससे अमेरिकी और ब्रिटिश प्रतिशोधी हमले हो रहे हैं. पेंटागन के मुताबिक, हूती ने 19 नवंबर से वाणिज्यिक शिपिंग और नौसैनिक जहाजों पर 30 से ज्यादा हमले किए हैं. इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने हूतियों के कई ठिकानों पर हमले किए. हूतियों का कहना है कि लाल सागर में हमले फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाने और अक्टूबर से गाजा पर इजरायल के युद्ध के विरोध में हैं.