Fake Encounter: उत्तर प्रदेश एसटीएप ने अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम का गुरुवार को एनकाउंटर कर दिया. इस मौके पर हम आपको एनकाउंटर और फेक एनकाउंटर के बारे में कुछ जानकारी देने जा रहे हैं. जो बहुत दिलचस्प है.
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Fake Encounter: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने गुरुवार को झांसी में अतीक अहमद के बेटे असद और मकसूदन के बेटे वे शूटर गुलाम का एनकाउंटर कर दिया है. झांसी में हुए इस एनकाउंटर में दोनों ही ढेर हो गए हैं. बताया जा रहा है कि पुलिस ने उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा था लेकिन वो नहीं माने और फायरिंह शुरू कर दी. जिसके बाद पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की, जिसमें वो दोनों ढेर हो गए. दोनों ही उमेशपाल केस में वांछित थे और पुलिस उनकी लंबे अरसे से जगह-जगह तलाश कर रही थी. दोनों पर 5-5 लाख रुपये का इनाम भी रखा गया था.
इससे पहले पुलिस ने 6 फरवरी को विजय चौधरी उर्फ उस्मान को भी एनकाउंटर में ढेर किया था. विजय चौधरी के एनकाउंटर के बाद उसकी पत्नी ने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया था. विजय की पत्नी ने कहा था कि पुलिस उनको घर से उठाकर ले गई और मोबाइल जब्त करने के बाद पुलिस ने उनका फर्ज़ी एनकाउंटर कर दिया. इस खबर में हम आपको फर्जी एनकाउंटर की ही पूरी कहानी बताने जा रहे हैं.
दरअसल एनकाउंटर के बारे में तो आप जानते ही होंगे कि जब पुलिस किसी आरोपी को पकड़ने के लिए जाती है और आरोपी सरेंडर करने की बजाए पुलिस पर पर हमला कर देता है तो पुलिस की तरफ से की जाने वाली जवाबी कार्रवाई को एनकाउंटर कहा जाता है. इसके अलावा अगर किसी किसी आरोपित को सियासी या फिर किसी अन्य प्रेशर की वजह से पकड़ने के बाद मार दिया जाए और पब्लिक या मीडिया में उसको एनकाउंटर के तौर पर दिखाया जाए तो फेक एनकाउंटर कहते हैं.
फेक एनकाउंटर को लेकर दिल्ली पुलिस के पूर्व एसपी वेद भूषण का कहना है कि भारत में होने वाले एनकाउंटर में 99 फीसद फर्जी हैं. उनका कहना है कि जब पुलिस किसी आरोपी/मुजरिम को लेकर भारी सियासी दबाव में होते हैं. सियासी दबाव के चलते ही एनकाउंटर किए जाते हैं.
पिछले दिनों सरकार की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक एनकाउंटर के मामले में छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश लिस्ट में टॉप पर हैं. मानवाधिकार आयोग की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2000 से 2018 के बीच 18 साल में 1804 एनकाउंटर हुए. इनमें अकेले उत्तर प्रदेश में 811 एनकाउंटर हुए. इनमें से कुछ एनकाउंटर के खिलाफ केस भी दर्ज किए गए और पुलिसकर्मियों को सजा भी दी गई है.
ABP की एक खबर के मुताबिक एनकाउंटर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील ध्रुव गुप्ता कहते हैं कि फर्जी एनकाउंटर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साल 2015 में कुछ गाइडलाइंस जारी की थी. एनकाउंटर के बाद उन गाइडलाइंस पर अमल करना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक अगर किसी मुजरिम के बारे में कोई जानकारी मिली है तो उसे लिखित या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से रिकॉर्ड करना लाजमी है.
फेक एनकाउंटर की जांच एक आजाद एजेंसी करे. जो कत्ल से जुड़े आठ बेसिक पहलुओं पर गौर करे. इसके अलावा एनकाउंटर के तुरंत बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या राज्य आयोग को जानकारी दी जाए. साथ ही मजिस्ट्रियल जांच भी कराना लाजमी है. एनकाउंटर की जांच होने तक पुलिस अधिकारी और सिपाही का प्रमोशन नहीं होगा. कोई पुरस्कार नहीं मिल सकेगा.
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