नई दिल्ली: वाराणसी की जिला अदालत में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस (Gyanvapi Case) की सुनवाई जल रही है. बुधवार को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने दलील दी है कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले में उपासना स्थल अधिनियम को लागू नहीं किया जा सकता है. इसी बीच आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 यानि उपासना स्थल अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दरअल मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उपासना स्थल अधिनियम के खिलाफ दायर की गई याचिका को चुनौती दी है और कहा है कि  उपासना स्थल अधिनियम को चैलेंज नहीं किया.


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AIMPLB ने प्लेसेज ऑफ़ वर्शिप एक्ट-1991 को बरकरार रखने की मांग की है. AIMPLB ने याचिका में कहा कि यह अधिनियम समाज में वैमनस्य को रोकने के लिए नेक इरादे से बनाया गया है. बोर्ड ने ये भी कहा है कि वर्शिप ऐक्ट उस तरह के तनावपूर्ण माहौल से बचने के लिए बनाया गया था, जो बाबरी विध्वंस के बाद भड़क उठा था, इसलिए इसे अब चैलेंज नहीं किया जा सकता है.


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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि उपासना स्थल अधिनियम 1991 देश के तमाम धर्मों के लिए बहुत की अहमियत का हामिल है. इसलिए इस अधिनियम पर अमल कराना सरकार और अदालत की जिम्मेदारी है. इसके के साथ किसी तरह को कोई छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता है. 


गौरतलब है कि बीजेपी नेता और मशहूर वकील अश्विनी उपाध्याय और कुछ दूसरे लोगों ने सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी दाखिल कर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 चुनौती दी है और इस अधिनियम को खत्म करने की मांग की है.


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