क्या सभापति जगदीप धनखड़ को हटा पाएगा विपक्ष? अगर हां तो कैसे, जानिए पूरी डिटेल
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क्या सभापति जगदीप धनखड़ को हटा पाएगा विपक्ष? अगर हां तो कैसे, जानिए पूरी डिटेल

Rajya Sabha: विपक्षी पार्टियां राज्यसभा के सभाापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रही है. विपक्षी गठबंधन ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है, जिसकी अगुआई कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि विपक्ष  इस प्रस्ताव को शीतकालीन सत्र में लाएगी. भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं.

क्या सभापति जगदीप धनखड़ को हटा पाएगा विपक्ष? अगर हां तो कैसे, जानिए पूरी डिटेल

Jagdeep Dhankhar: राज्यसभा में इस वक्त घमासान मचा हुआ है.  विपक्ष के द्वारा उपरी सदन के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चर्चा जोरों पर है. ऐसी खबर है कि कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी पार्टियों ने सभापति के खिलाफ प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है, जिसका नेतृत्व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर रहे हैं.

यह प्रस्ताव विपक्षी पार्टियां शीतकालीन सत्र में लेकर आ सकती है. हालांकि, यह प्रस्ताव इसी सेशन में लाने की तैयारी थी लेकिन यह सत्र 3 दिन पहले ही समाप्त हो गया.  इन सब के बीच यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या राज्यसभा के सभापति को उनके पद से हटाया जा सकता है अगर हां तो कैसे? आज हम इस स्टोरी में आपको विस्तार से बताएंगे कि विपक्ष इस प्रस्ताव के जरिए धनखड़ को कुर्सी से हटा पाएगा या नहीं?

राज्यसभा में सभापति के पद से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां 
संविधान के आर्टिकल 64 के मुताबिक, भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं. इस पद को लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों के द्वारा मिलकर साधारण बहुमत से चुना जाता है. राज्यभा में सभापति का काम कार्यवाही का संचालन करना है. सभापति को लोकसभा के अध्यक्ष के बराबर अधिकार प्राप्त है.

भारत के संविधान में इस पद को देश का दूसरा सबसे बड़ा पद माना जाता है. अनुच्छेद-67-(a) के मुताबिक कार्यकाल की खत्म होने के पहले उपराष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा देकर पद छोड़ सकते हैं.

क्या सभापति को पद से हटाया जा सकता है?
जानकारी के मुताबिक, सभापति को राज्यसभा में प्रस्ताव के जरिए हटाया जा सकता है लेकिन इसके लिए 14 दिन पहले लिखित नोटिस देना जरूरी है. उसके बाद राज्यसभा में मौजूद सभी मेंबरों के बहुमत से उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है, जो एक सामान्य प्रपोजल होता है. जिसे राज्यसभा के 50 मेंबरों के सिग्नेचर से सचिवालय को भेजा जाता है.

राज्यसभा में टोटल 225 मेंबर हैं और सभापति को हटाने के लिए 50 फीसदी मतों से ज्यादा  यानी  113 मेंबरों की जरूरत होगी. जबकि विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन के पास मौजूदा वक्त में सिर्फ 87 सीटें हैं. अगर नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल और वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के मेंबरों को जोड़ दिया जाए तो भी यह तादाद 106 के पास ही पहुंचती है. जबकि सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के पास 110 सीटें हैं जो बहुमत से सिर्फ 3 सीटें कम है.

वहीं, 3 सितंबर को राज्यसभा की खाली 12 सीटों पर चुनाव होना है. माना जा रहा है कि इन खाली सीटों में से एनडीए कम से कम 10 सीटों पर जीत सकती है. अगर एनडीए ये 10 सीट जीतने में कामयाब होती है तो 3 सिंतबर के बाद राज्यसभा में उनके के पास बहुमत हो जाएगा. अब आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि धनखड़ सभापति बने रहते हैं या नहीं.

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