#370InShaheenBagh: मरकज़ी वज़ीर गिरिराज सिंह ने पूछा, क्या शाहीन बाग़ के लिए केजरीवाल-सिसोदिया से लेना पड़ेगा वीज़ा?
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#370InShaheenBagh: मरकज़ी वज़ीर गिरिराज सिंह ने पूछा, क्या शाहीन बाग़ के लिए केजरीवाल-सिसोदिया से लेना पड़ेगा वीज़ा?

मरकज़ी वज़ीर गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर कहा कि ऐसा लगता है कि आप लोग अटारी-वाघा बॉर्डर पर खड़े हैं. गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि क्या शाहीन बाग़ जाने के लिए केजरीवाल और मनीष सिसोदिया से वीज़ी लेना पड़ेगा

#370InShaheenBagh: मरकज़ी वज़ीर गिरिराज सिंह ने पूछा, क्या शाहीन बाग़ के लिए केजरीवाल-सिसोदिया से लेना पड़ेगा वीज़ा?

नई दिल्ली: शहरियत तरमीमी क़ानून की मुख़ालिफ़त के चलते गुज़िश्ता क़रीब 2 महीनों से शाहीन बाग़ में मीडिया के एक हिस्से का भी दाखिला ममनू है. यानी शाहीन बाग़ एक ऐसे मोहल्ले में बदल चुका है. जहां ना मुल्क की पुलिस जा सकती है और ना ही मुल्क का मीडिया. शाहीन बाग जाकर सुप्रीम कोर्ट, जम्हूरियत और क़वानीन की बात करना तो बिल्कुल बेइमानी है. ऐसा लगता है जैसे ये इलाक़ा टुकड़े-टुकड़े गैंग का नया हेडक्वार्टर बन गया है. जहां सिर्फ एक ख़ास नज़रिये वाले लोग ही जा सकते हैं.

अभी दो दिनों पहले ही News Nation चैनल के Consulting Editor दीपक चौरसिया शाहीन बाग़ में रिपोर्टिंग करने गए थे. लेकिन उन्हें वहां रोक दिया गया और इल्ज़ामात के मुताबिक उनके साथ धक्का-मुक्की भी की गई. पीर को ZEE मीडिया के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी और दीपक चौरसिया ने शाहीन बाग जाने का फैसला किया और यौमे जम्हूरिया के 24 घंटे बाद ये पता लगाने की कोशिश की कि क्या भारतीय जम्हूरियत का आईन और कानून शाहीन बाग़ में भी लागू होते हैं लेकिन हमें वहां जाने से रोक दिया गया.इस वारदात पर मरकज़ी वज़ीर गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर कहा कि ऐसा लगता है कि आप लोग अटारी-वाघा बॉर्डर पर खड़े हैं. गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि क्या शाहीन बाग़ जाने के लिए केजरीवाल और मनीष सिसोदिया से वीज़ी लेना पड़ेगा.

ज़ी न्यूज़ एडीटर इंचीफ सुधीर चौधरी कहते हैं कि सोमवार की दोपहर क़रीब ढाई बजे मैं और हिंदी न्यूज़ चैनल News Nation के Consulting Editor दीपक चौरसिया शाहीन बाग पहुंचे. ये देश की मीडिया के तारीख में शायद पहला ऐसा मौका था. जब दो चैनलों के ऐडीटर इंचीफ या एंकर एक साथ एक ऐसी जगह पहुंचे. जहां सिर्फ एक नज़रिये के लोगों को ही Entry दी जा रही है.मीडिया का जो हिस्सा शाहीन बाग़ के मुज़ाहिरीन की जुबान बोल रहा है. उन्हें तो मंच पर बुलाकर सरफराज़ किया जा रहा है लेकिन मीडिया का जो हिस्सा शाहीन बाग़ के मुज़हिरीन से मुत्तफिक नहीं है. या फिर इन मुज़ाहिरों पर सवाल उठा रहा है उस हिस्से को ये लोग अंदर भी घुसने नहीं दे रहे हैं.हमने आज कोशिश की है कि हम इन मुज़ाहिरीन के दरमियान में जाएं और इनसे बात-चीत करें. मेरे हाथ में उस नए शहरियत कानून की एक कॉपी भी थी. जिसके खिलाफ ये सारे मुज़ाहिरे हो रहे हैं. मैंने मुज़ाहिरीन को नए कानून के बारे में पढ़कर सुनाना चाहा. लेकिन इन लोगों को ये भी मंजूर नहीं था. हम बैरिकेड पार करते उस जगह पर जाना चाहते थे. जहां गुज़िश्ता करीब डेढ़ महीने से एहतेजाज हो रहे हैं.

इन एहतेजाजियों की वजह से इस इलाके की करीब 4 किलोमीटर लंबी सड़क को गुज़िश्ता करीब 44 दिनों से बंद करके रखा गया है.इससे दिल्ली के तकरीबन 10 लाख़ लोगों को परेशानी हो रही है. इसलिए आज हमने कोशिश की कि हम इन मुज़ाहिरीन से बात करें, उन्हें समझाने की कोशिश करें कि ये ठीक नहीं है और नया क़ानून किसी की शहरियत छीनने नहीं जा रहा लेकिन जैसे ही हम यहां पहुंचे मुज़ाहिरीन बाहर आ गए. लाउड स्पीकर से आने वाली आवाज़ें तेज़ हो गईं. और हमारी तरफ से बात-चीत की किसी भी पेशकश को इन मुज़ाहिरीन ने कुबूल नहीं किया.शाहीन बाग पहुंचकर हमें ऐसा लग रहा था जैसे हमें मुज़ाहिरे वाली जगह तक जाने के लिए अपने ही मुल्क में वीज़ा लेना पड़ेगा या पासपोर्ट दिखाना पड़ेगा. हम सारे कागज़ दिखाने को तैयार भी थे. लेकिन फिर भी इन मुज़ाहिरीन ने पहली कोशिश में हमें अंदर नहीं जाने दिया और Go Back के नारे लगाते रहे .

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